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baap beti ki shaadi: दुनिया में विविधता की कोई कमी नहीं है, विशेष रूप से परंपराओं के संदर्भ में। हर देश और समुदाय की अपनी विशेष मान्यताएँ और रिवाज होते हैं, जो अक्सर बाहरी लोगों की नजर में भद्दे लग सकते हैं।

बांग्लादेश की मंडी जनजाति की एक परंपरा विशेष रूप से चौंकाने वाली है: एक पिता अपनी बेटी से विवाह कर सकता है। यह परंपरा न केवल अनोखी है, बल्कि इसे कुप्रथा के रूप में भी देखा जाता है।

इस परंपरा के मुताबिक, यदि कोई पुरुष कम उम्र में एक विधवा महिला से शादी करता है, तो यह आमतौर पर इस शर्त पर होता है कि वह अपनी सौतेली बेटी से विवाह कर लेगा। आदर्श रूप से, वह उस महिला की पूर्व शादी से पैदा हुई बेटी से विवाह करता है। इस स्थिति में सौतेला पिता अपनी सौतेली बेटी के साथ न केवल पति-पत्नी का संबंध बनाता है, बल्कि उसके साथ शारीरिक संबंध भी बनाता है।

मंडी जनजाति के लोगों का मानना है कि यह परंपरा महिलाओं और बच्चों के भविष्य की सुरक्षा के लिए आवश्यक है। जब विधवा महिलाएं दोबारा शादी करती हैं, तो ऐसा किया जाता है ताकि वे और उनकी बेटियाँ सुरक्षित रहें। रिपोर्टों के अनुसार, इस परंपरा का आधार भूमिका और सुरक्षा का विषय है, जिसमें बुजुर्ग पुरुष युवा विधवाओं और उनकी बेटियों की देखभाल कर सकते हैं।

हालाँकि, समय के साथ इस कुप्रथा में कमी आयी है, रिपोर्ट्स के अनुसार आज भी ये परम्पराएँ कहीं न कहीं चल रही हैं। 2015 में मैरी क्लेयर द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट में, ओरोला नाम की एक लड़की ने अपने अनुभव साझा किए थे। उसकी माँ, मिट्टामोनी, ने 25 वर्ष की आयु में विवाह किया और ओरोला को एक शर्त के तहत उसके नए पति से विवाह करने के लिए मजबूर किया। इससे ओरोला के जीवन में समस्याएं बढ़ीं, और उसने पिता और पति दोनों की भूमिकाएँ निभाने वाले व्यक्ति के साथ अपने जीवन के कई अहम क्षण बिताए।

 

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