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Up Kiran, Digital Desk: कर्नाटक में जल्द होने वाले ग्राम पंचायत चुनावों पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं. चुनावों से ठीक पहले, सीटों के आरक्षण को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है, और यह मामला अब कर्नाटक हाईकोर्ट तक पहुंच गया है. हाईकोर्ट ने इस मुद्दे पर सिद्धारमैया सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

यह पूरा मामला विजयपुरा जिले से शुरू हुआ है, जहां के कुछ वोटरों और चुनाव लड़ने के इच्छुक उम्मीदवारों ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है. इस याचिका में उन्होंने सरकार द्वारा जारी किए गए आरक्षण नोटिफिकेशन को चुनौती दी है.

आखिर क्या है विवाद की जड़?

याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि सरकार ने ग्राम पंचायत की सीटों के लिए आरक्षण तय करते समय सबसे जरूरी नियम, यानी 'रोटेशन ऑफ सीट्स' (Rotation of Seats) का पालन नहीं किया 

आसान भाषा में इसका मतलब यह है कि जो सीट पिछले चुनाव में जिस कैटेगरी (जैसे - एससी, एसटी, पिछड़ा वर्ग या महिला) के लिए आरक्षित थी, उसे इस बार बदलकर किसी दूसरी कैटेगरी के लिए आरक्षित किया जाना चाहिए था. यह नियम इसलिए बनाया गया है ताकि हर वर्ग के व्यक्ति को चुनाव लड़ने का बराबर मौका मिल सके.

लेकिन याचिकाकर्ताओं का दावा है कि विजयपुरा जिले में कई सीटों पर पिछले चुनाव वाला आरक्षण ही दोहरा दिया गया है, जिससे दूसरे वर्गों के लोग चुनाव लड़ने के मौके से वंचित हो गए हैं. उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि यह आरक्षण 2011 की जनगणना के पुराने आंकड़ों के आधार पर किया गया है, जबकि नए आंकड़ों का इस्तेमाल होना चाहिए था.

हाईकोर्ट ने मांगा सरकार से जवाब

इस याचिका पर सुनवाई करते हुए, जस्टिस सूरज गोविंदराज की बेंच ने इसे एक गंभीर मामला माना है. कोर्ट ने राज्य की सिद्धारमैया सरकार, राज्य चुनाव आयोग, और ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज विभाग समेत सभी संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर इस पर अपना पक्ष रखने को कहा है.

याचिकाकर्ताओं ने मांग की है कि इस गलत आरक्षण नोटिफिकेशन को तुरंत रद्द किया जाए और नियमों के मुताबिक, रोटेशन का पालन करते हुए एक नई लिस्ट जारी की जाए.

अब गेंद सरकार और चुनाव आयोग के पाले में है. उन्हें कोर्ट को यह समझाना होगा कि उन्होंने आरक्षण तय करते समय नियमों का पालन किया है या नहीं. अगर सरकार संतोषजनक जवाब नहीं दे पाती है, तो इसका असर पूरे पंचायत चुनाव की प्रक्रिया पर पड़ सकता है.