Hijab ban: कर्नाटक सरकार ने कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी एसडीपीआई के विरोध के बाद हिजाब पर पाबंदी लगाने वाली प्रिंसिपल को सम्मानित करने का अपना फैसला वापस ले लिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कर्नाटक शिक्षा विभाग ने उडुपी जिले के कुंदपुरा पीयू कॉलेज के प्रिंसिपल बीजी रामकृष्ण को 'सर्वश्रेष्ठ प्रिंसिपल' पुरस्कार के लिए चुना था, मगर अब उन्हें ये सम्मान नहीं दिया जा रहा है। कर्नाटक में शिक्षा विभाग हर साल शिक्षक दिवस पर बेस्ट प्रिंसिपल को सम्मानित करता है।
रिपोर्ट के अनुसार, इस साल दो शिक्षकों को 'सर्वश्रेष्ठ प्रिंसिपल' पुरस्कार के लिए चुना गया था, जिनमें उडुपी के कुंदापुरा पीयू कॉलेज के प्रिंसिपल बीजी रामकृष्ण और मैसूरु जिले के हुनसुरु पीयू कॉलेज के प्रिंसिपल ए रामेगौड़ा शामिल हैं। जैसे ही ये खबर सामने आई कि रामकृष्ण को 'सर्वश्रेष्ठ प्रिंसिपल' का पुरस्कार दिया जा रहा है, प्रतिबंधित इस्लामिक संगठन पीएफआई की राजनीतिक शाखा कट्टरपंथी इस्लामिक पार्टी एसडीपीआई ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया।
'हिजाब प्रतिबंध' पर भारी बवाल
बीजी रामकृष्ण ने पीयू कॉलेज के नियमों का पालन करते हुए फरवरी 2022 में हिजाब पहनकर आने वाली छात्राओं को कक्षा में प्रवेश नहीं करने दिया था। उनके इस फैसले के बाद पूरे राज्य में 'हिजाब बैन' को लेकर भारी बवाल हुआ था। रामकृष्ण ने बताया कि बुधवार को शिक्षा विभाग की तरफ से उन्हें जानकारी दी गई कि तकनीकी कारणों से फिलहाल उन्हें ये पुरस्कार नहीं दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि उन्हें बताया गया है कि हालांकि उनका पुरस्कार रद्द नहीं किया गया है।
विवाद से बचने के लिए पुरस्कार नहीं दिया गया
रामकृष्ण को यह सम्मान दिए जाने की खबर जैसे ही सामने आई, प्रतिबंधित कट्टरपंथी संगठन पीएफआई की राजनीतिक इकाई एसडीपीआई ने सबसे पहले इसका विरोध किया। एसडीपीआई के विरोध के बाद कई कट्टरपंथी ताकतें और अन्य लोग सक्रिय हो गए, जिसके बाद सोशल मीडिया पर शिक्षा विभाग की आलोचना करते हुए कई पोस्ट किए गए। शिक्षा विभाग के सूत्रों के अनुसार, किसी भी विवाद से बचने के लिए फिलहाल रामकृष्ण को ये ईनाम नहीं देने का निर्णय लिया गया है।
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