
Up Kiran, Digital Desk: अंतरराष्ट्रीय मंच पर ईरान को एक बड़ा झटका लगा है। अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के भारी दबाव के बाद ईरान को अपना वह प्रस्ताव वापस लेना पड़ा है, जिसमें परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण इस्तेमाल करने वाले देशों के परमाणु ठिकानों पर किसी भी तरह के हमले को प्रतिबंधित करने की मांग की गई थी।
क्या था ईरान का प्रस्ताव: वियना में अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) की एक महत्वपूर्ण बैठक चल रही थी। इसी बैठक में ईरान ने एक मसौदा प्रस्ताव पेश किया था। इस प्रस्ताव में कहा गया था कि IAEA के सभी सदस्य देशों को उन देशों के परमाणु संयंत्रों पर हमला करने या हमले की धमकी देने से बचना चाहिए, जो परमाणु अप्रसार संधि (NPT) के तहत अपने परमाणु कार्यक्रमों का शांतिपूर्ण विकास कर रहे हैं। सीधे तौर पर, यह प्रस्ताव इजराइल और अमेरिका जैसे देशों पर निशाना साध रहा था, जिन पर ईरान पहले भी अपने परमाणु ठिकानों पर हमले की साजिश रचने का आरोप लगाता रहा है।
क्यों पीछे हटना पड़ा ईरान को?
जैसे ही ईरान ने यह प्रस्ताव पेश किया, अमेरिका और उसके यूरोपीय सहयोगियों ने इसका कड़ा विरोध शुरू कर दिया। इन देशों का तर्क था कि ईरान खुद अपने परमाणु कार्यक्रम को लेकर पारदर्शी नहीं है और वह अपनी जिम्मेदारियों से दुनिया का ध्यान भटकाने के लिए ऐसे प्रस्ताव ला रहा है।
डिप्लोमैटिक सूत्रों के मुताबिक, अमेरिका ने पर्दे के पीछे से बहुत दबाव बनाया। कई सदस्य देशों पर इस प्रस्ताव के खिलाफ वोट करने के लिए जोर डाला गया। जब ईरान को यह अहसास हो गया कि उसके प्रस्ताव को जरूरी समर्थन नहीं मिलेगा और यह बुरी तरह से खारिज हो सकता है, तो उसने शर्मिंदगी से बचने के लिए इसे वापस लेना ही बेहतर समझा। यह घटना एक बार फिर दिखाती है कि वैश्विक परमाणु राजनीति में अमेरिका का दबदबा किस हद तक कायम है।