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Up Kiran, Digital Desk: मेक इन इंडिया' अभियान को एक जबरदस्त impulso मिला है, क्योंकि देश में इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट्स के निर्माण के लिए चलाई जा रही सरकारी योजना में कंपनियों ने भारी दिलचस्पी दिखाई है. इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को बताया कि सरकार को इस स्कीम के तहत ₹1.15 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव मिले हैं, जो "अभूतपूर्व" है.

यह एक बड़ा संकेत है कि दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियां अब भारत को एक प्रमुख मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में देख रही हैं.

क्या है यह स्कीम: सरकार ने 'स्कीम फॉर प्रमोशन ऑफ मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स एंड सेमीकंडक्टर्स' (SPECS 2.0) शुरू की है. इसका सीधा-सा मकसद भारत में मोबाइल फोन, लैपटॉप और अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज के छोटे-छोटे पुर्जे (जैसे-चिप, बैटरी, डिस्प्ले) बनाने वाली कंपनियों को बढ़ावा देना है, ताकि हमें इन चीजों के लिए दूसरे देशों पर निर्भर न रहना पड़े.

"यह पीएम मोदी के विजन का नतीजा है"

डिक्सन टेक्नोलॉजीज के एक नए प्लांट के शिलान्यास समारोह में बोलते हुए, अश्विनी वैष्णव ने कहा, "यह एक बहुत बड़ी सफलता है. ₹1.15 लाख करोड़ के निवेश की रुचि दिखाना भारत की क्षमताओं में दुनिया के बढ़ते विश्वास को दर्शाता है. यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'मेक इन इंडिया' को एक वैश्विक शक्ति बनाने के दृष्टिकोण का ही नतीजा है."

लक्ष्य: $300 अरब का इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग

मंत्री ने कहा कि भारत का लक्ष्य अपने इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग को मौजूदा $126 अरब से बढ़ाकर $300 अरब तक ले जाना है. इसके लिए यह बेहद जरूरी है कि हम सिर्फ मोबाइल और लैपटॉप असेंबल न करें, बल्कि उनके अंदर लगने वाले हर छोटे-बड़े कंपोनेंट को भी यहीं बनाएं.

यह रिकॉर्ड तोड़ निवेश प्रस्ताव दिखाते हैं कि भारत अब सिर्फ एक बड़ा बाजार ही नहीं, बल्कि एक बड़ा निर्माता बनने की राह पर तेजी से आगे बढ़ रहा है.