
Up Kiran, Digital Desk: आशा भोसले... एक ऐसी आवाज़, जो कभी नटखट और चुलबुली लगती है, तो कभी दिल तोड़ देने वाली कव्वाली बन जाती है। उनकी आवाज़ की रेंज इतनी विशाल है कि उन्हें किसी एक खांचे में बांधना नामुमकिन है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जिस अनोखे स्टाइल के लिए आज दुनिया उन्हें पूजती है, उस स्टाइल की शुरुआत घर पर singers की नकल करने की एक साधारण सी आदत से हुई थी, जिसके लिए उन्हें अपनी माँ से डांट और मार भी खानी पड़ती थी!
घर पर नकल, बन गया ट्रेनिंग ग्राउंड: एक पुराने इंटरव्यू में, आशा जी ने खुद यह प्यारा सा किस्सा सुनाया था। उन्होंने बताया कि बचपन में उन्हें फिल्में देखने और गाने सुनने का बहुत शौक था। लेकिन बात यहीं खत्म नहीं होती थी। घर आकर वह उन्हीं गायकों की आवाज़ और स्टाइल की हूबहू नकल उतारने की कोशिश करती थीं। उनके घर में यह आदत सबको थी, लेकिन आशा जी के लिए यह एक तरह का ट्रेनिंग ग्राउंड बन गया।
जब 'भूत' की तरह गाने पर पड़ती थी डांट: इस कहानी का सबसे दिलचस्प हिस्सा जुड़ा है एक विदेशी गायिका, कारमेन मिरांडा (Carmen Miranda) से। कारमेन एक पुर्तगाली-ब्राज़ीलियाई गायिका थीं जो अपने अनोखे अंदाज़, अजीब कपड़ों और फलों से सजी टोपी के लिए मशहूर थीं। आशा जी को उनका स्टाइल बहुत पसंद था और वह घर पर उन्हीं की तरह गाने की कोशिश करती थीं।
अब सोचिए, आशा जी का परिवार शास्त्रीय संगीत का घराना, और वह घर पर एक विदेशी पॉप सिंगर की नकल कर रही हैं! वह बताती हैं:
"जब मैं घर पर उनका गाना गाती थी, तो मेरी माँ को लगता था कि मैं किसी भूत की नकल कर रही हूँ। वह मुझे मारती भी थीं।"
वही 'भूत वाली' आवाज बनी सुपरहिट: किसी को क्या पता था कि जिस आवाज के लिए आज डांट पड़ रही है, वही एक दिन आशा जी का सबसे बड़ा हथियार बनेगी। उन्होंने सुनाया:
"कई सालों बाद, मुझे महान संगीतकार सी. रामचंद्र जी के लिए एक गाना गाने का मौका मिला। मैं कितना भी गा रही थी, उन्हें पसंद ही नहीं आ रहा था।"
तब आशा जी को बचपन की वो 'भूत वाली' नकल याद आई।
"तो मैंने उसी औरत (कारमेन मिरांडा) के बारे में सोचा। मैंने टेक के दौरान उसी स्टाइल में गा दिया, और हर किसी को वह पसंद आ गया! उन्होंने मुझसे पूछा, 'तुमने यह कैसे किया?' मैंने उन्हें यह नहीं बताया कि मैंने कारमेन मिरांडा की नकल की थी।"
यहीं से शुरू हुआ एक नया सफर :आशा भोसले ने बताया, "इसी तरह, मैंने हर बार अपनी गायकी को बदला। मैंने अपनी आवाज और अपना स्टाइल बदला।" कभी वह कव्वाली गाने लगती थीं, तो कभी वेस्टर्न। यही वो आदत थी जिसने उन्हें हिंदी सिनेमा की सबसे वर्सटाइल सिंगर बनाया।
यह किस्सा हमें सिखाता है कि कभी-कभी जो आदतें बचपन में पागलपन लगती हैं, वही आगे चलकर हमारी सबसे बड़ी ताकत बन जाती हैं।