
Up Kiran, Digital Desk: हैदराबाद में आगामी मॉनसून से पहले बाढ़ की समस्या से प्रभावी ढंग से निपटने और जल निकासी व्यवस्था को मजबूत करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया गया है। हैदराबाद रोड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HYDRAA) ने शहर भर में 349 ऐसे स्थानों की पहचान की है जहाँ मॉनसून के दौरान भारी जलभराव होता है और बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो जाती है। यह संख्या 2020 में चिन्हित किए गए 250 जलभराव क्षेत्रों से काफी अधिक है, जो शहर में बढ़ती शहरीकरण और जल निकासी की चुनौतियों को दर्शाता है।
HYDRAA द्वारा किए गए विस्तृत सर्वेक्षण और विश्लेषण के अनुसार, इन 349 जलभराव क्षेत्रों को मुख्य रूप से शहर के तीन प्रमुख खंडों में वर्गीकृत किया गया है: सेरिलिंगमपल्ली, खैरताबाद और सिकंदराबाद। आंकड़ों के मुताबिक, सेरिलिंगमपल्ली क्षेत्र में सर्वाधिक 154 जलभराव वाले स्थान चिन्हित किए गए हैं। यह आंकड़ा इस क्षेत्र की सघनता, भौगोलिक स्थिति और मौजूदा ड्रेनेज सिस्टम पर अतिरिक्त दबाव को इंगित करता है।
इसके बाद, खैरताबाद खंड में 110 ऐसे संवेदनशील क्षेत्र पाए गए हैं, जबकि सिकंदराबाद में 85 जलभराव वाले स्थानों की पहचान की गई है। इन 'फ्लड जोन' की पहचान का मुख्य उद्देश्य मॉनसून के दौरान उत्पन्न होने वाली जलभराव और बाढ़ की समस्याओं को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करना है। HYDRAA का लक्ष्य एक डेटा-संचालित और व्यापक रणनीति तैयार करना है ताकि इन समस्याओं को कम किया जा सके।
इस प्रक्रिया के तहत, HYDRAA के अभियंता (इंजीनियर्स) वर्तमान में इन चिन्हित स्थलों का गहन दौरा कर रहे हैं। वे जलभराव के कारणों, पानी के बहाव के पैटर्न, और संभावित समाधानों का विस्तृत मूल्यांकन कर रहे हैं। इन अध्ययनों के आधार पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जा रही है, जिसमें ड्रेनेज सिस्टम में सुधार, जल निकासी मार्गों को साफ करने, और यदि आवश्यक हो तो नए बुनियादी ढाँचे के विकास के लिए ठोस सिफारिशें शामिल होंगी।
इस पूरी पहल में ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (GHMC) और अन्य संबंधित विभागों के साथ गहन समन्वय स्थापित किया जा रहा है ताकि एक एकीकृत और प्रभावी समाधान लागू किया जा सके। यह पहल न केवल हैदराबाद को मॉनसून के प्रभावों से बचाने में मदद करेगी, बल्कि शहर के नागरिकों के लिए एक सुरक्षित और सुगम वातावरण भी सुनिश्चित करेगी, जिससे उन्हें मॉनसून के दौरान होने वाली असुविधाओं से मुक्ति मिल सके।
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