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Up Kiran, Digital Desk: उपराष्ट्रपति पद का चुनाव इस बार बेहद दिलचस्प मोड़ पर पहुँच चुका है। विपक्ष की ओर से पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज, बी. सुदर्शन रेड्डी के नाम की घोषणा के बाद इस चुनावी मुकाबले ने नया रंग लिया है। आंध्र प्रदेश की राजनीति भी अब इस मुद्दे के इर्द-गिर्द घूमने लगी है।

सुदर्शन रेड्डी के नाम के सामने आने के बाद से कई सियासी समीकरण बन रहे हैं। खासकर चंद्रबाबू नायडू के अगले कदम को लेकर चर्चाएँ तेज हो गई हैं। सवाल उठने लगे थे कि क्या वह विपक्ष के उम्मीदवार का समर्थन करेंगे या फिर अपने सहयोगी गठबंधन के उम्मीदवार, सीपी राधाकृष्णन के साथ खड़े होंगे? विपक्ष को यह उम्मीद थी कि आंध्र प्रदेश में जन्मे जस्टिस रेड्डी का नाम होने से टीडीपी के लिए यह स्थिति मुश्किल बना सकती है। इस बारे में टीडीपी ने अब अपना रुख स्पष्ट कर दिया है।

टीडीपी का रुख साफ़

आंध्र प्रदेश के मंत्री और टीडीपी के महासचिव, नारा लोकेश ने हाल ही में एनडीए के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन से मुलाकात की और यह संदेश दिया कि एनडीए एकजुट है। लोकेश ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा, “कोई संकोच नहीं बस गर्मजोशी, सम्मान और गर्व के साथ। एनडीए पूरी तरह से एकजुट है।"

विपक्ष की रणनीति: 'साउथ कार्ड'

जहां एक तरफ भाजपा नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन ने राधाकृष्णन का नाम देकर साउथ का कार्ड खेला और तमिलनाडु की कांग्रेस सहयोगी पार्टी डीएमके के लिए एक दुविधा पैदा की, वहीं विपक्ष ने भी साउथ के नाम पर अपनी रणनीति तैयार की। कुछ घंटों बाद, इंडी गठबंधन ने सुदर्शन रेड्डी के नाम की घोषणा करके एनडीए की सहयोगी पार्टी, टीडीपी के लिए नई चुनौती खड़ी कर दी। विपक्ष का उद्देश्य तेलुगु भाषी पार्टियों से समर्थन जुटाना था, जो एनडीए का हिस्सा नहीं हैं।

टीडीपी के सामने वही सवाल था जो डीएमके के सामने था—क्या वह अपने स्थानीय उम्मीदवार के खिलाफ मतदान करेगी? आखिरकार, टीडीपी ने वही किया जो डीएमके ने किया था। डीएमके ने इस मुद्दे पर अपना रुख साफ करते हुए कहा था कि वे राधाकृष्णन के नाम को भाषा या स्थानीयता के आधार पर नहीं, बल्कि एक राजनीतिक दृष्टिकोण से देख रहे हैं।

 

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