
Up Kiran, Digital Desk: भारत ने गुयाना में आयोजित एक महत्वपूर्ण वैश्विक जैव विविधता शिखर सम्मेलन में अपनी वैज्ञानिक और तकनीकी क्षमताओं का शानदार प्रदर्शन किया। भारत ने यहाँ भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) द्वारा विकसित ऐसी तकनीकों को प्रदर्शित किया, जो जैव विविधता के संरक्षण और इसके सतत उपयोग में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती हैं।
इस पहल का मुख्य उद्देश्य विकासशील देशों, विशेषकर ग्लोबल साउथ के राष्ट्रों को, पर्यावरण चुनौतियों से निपटने और अपने प्राकृतिक संसाधनों का स्थायी रूप से प्रबंधन करने में मदद करना है। यह दर्शाता है कि भारत न केवल अपनी समस्याओं के लिए समाधान ढूंढ रहा है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी सहयोग करने के लिए प्रतिबद्ध है।
इसरो (ISRO) ने अपनी अंतरिक्ष-आधारित प्रौद्योगिकियों, जैसे सैटेलाइट इमेजरी (उपग्रह चित्र) और रिमोट सेंसिंग (सुदूर संवेदन) की क्षमताओं को उजागर किया। ये तकनीकें वनों की कटाई, वन्यजीव आवासों की निगरानी, जल निकायों के स्वास्थ्य का आकलन करने और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को ट्रैक करने में अमूल्य हैं। इन जानकारियों से सटीक योजना बनाने और प्रभावी हस्तक्षेप करने में मदद मिलती है।
वहीं, सीएसआईआर (CSIR) ने जैव विविधता के संरक्षण, नए जैव-संसाधनों की खोज और पर्यावरणीय चुनौतियों के लिए स्थायी समाधान विकसित करने में अपनी जमीन-पर-अमली अनुसंधान (ground-breaking research) को प्रस्तुत किया। इसमें ऐसे तरीके शामिल हैं जिनसे बिना पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग किया जा सकता है।
गुयाना में यह प्रदर्शन जलवायु परिवर्तन से लड़ने और सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के प्रति भारत की मजबूत प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। यह दिखाता है कि भारत अब केवल एक प्रौद्योगिकी उपभोक्ता नहीं है, बल्कि वह वैश्विक पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने के लिए नवीन और व्यवहार्य समाधान प्रदान करने वाला एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बन रहा है।
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