
Up Kiran, Digital Desk: केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाल ही में ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की। इस बैठक का मुख्य एजेंडा खिलाड़ियों के पैसे की सुरक्षा, ई-स्पोर्ट्स (eSports) को एक स्वस्थ खेल के रूप में बढ़ावा देना और नए 'ऑनलाइन गेमिंग एक्ट, 2025' के तहत नियमों को सही तरीके से लागू करना था।
यह बैठक 'ऑनलाइन गेमिंग बिल, 2025' के संसद में पास होने और राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के कुछ ही समय बाद हुई है।
क्या कहता है नया कानून?
'ऑनलाइन गेमिंग का प्रचार और विनियमन अधिनियम, 2025' पैसे लगाकर खेले जाने वाले ऑनलाइन गेम्स पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाता है। हालांकि, यह स्किल-आधारित गेमिंग और ई-स्पोर्ट्स को बढ़ावा देता है।
नए कानून के तहत, प्रतिबंधित गेम्स का विज्ञापन करने की भी इजाजत नहीं होगी और नियमों का उल्लंघन करने वालों के लिए कड़े दंड का प्रावधान किया गया है।
कानून तोड़ने पर क्या होगी सजा?
2 साल तक की जेल और 50 लाख रुपये का जुर्माना।
पैसों वाले गेम्स को वित्तीय सुविधा देने वालों को तीन साल की जेल और 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
बार-बार अपराध करने वालों को पांच साल तक की जेल और 2 करोड़ रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
कंपनियों के सामने क्या हैं चुनौतियां?
नए कानून का पालन करते हुए कई ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों ने अपनी पैसे आधारित सेवाओं को स्वेच्छा से बंद कर दिया है। लेकिन सरकार के सामने अभी भी विदेशी गेमिंग प्लेटफॉर्म्स की चुनौती है, जो भारतीय खिलाड़ियों को अपनी ओर आकर्षित करते रहते हैं।
इंडस्ट्री के आंकड़ों के मुताबिक, 2024 में लगभग 45 करोड़ भारतीयों ने पैसों पर आधारित गेमिंग प्लेटफॉर्म पर करीब 20,000 करोड़ रुपये गंवाए हैं। यह आंकड़ा दिखाता है कि नागरिकों की सुरक्षा और वित्तीय जोखिमों को कम करने के लिए कड़े नियमों को लागू करना कितना जरूरी है।
सरकार, उद्योग और वित्तीय संस्थान अब मिलकर काम कर रहे हैं ताकि नए कानून के तहत बदलावों को आसानी से लागू किया जा सके। सरकार का मुख्य ध्यान ई-स्पोर्ट्स को एक प्रतिस्पर्धी क्षेत्र के रूप में आगे बढ़ाने पर है, साथ ही खिलाड़ियों को पैसे वाले ऑनलाइन गेमिंग के जोखिमों से बचाना भी है।
--Advertisement--