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Up Kiran, Digital Desk: अमेरिकी टैरिफ के कारण जहां भारत के माल निर्यात (merchandise exports) पर दबाव बने रहने का अनुमान है, वहीं देश का सेवा क्षेत्र (services sector) शानदार प्रदर्शन करने के लिए तैयार है। बुधवार को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2026 में भारत का सेवा व्यापार अधिशेष (services trade surplus) 205-207 बिलियन डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच सकता है।

चालू खाते के घाटे (CAD) पर बड़ी राहत

ताजा आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में देश का चालू खाता घाटा (Current Account Deficit) तेजी से घटकर केवल 2.4 बिलियन डॉलर रह गया, जो सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का मात्र 0.2 प्रतिशत है। यह पिछले साल की समान अवधि में दर्ज किए गए 8.6 बिलियन डॉलर (जीडीपी का 0.9 प्रतिशत) के घाटे से काफी कम है।

यह नतीजा रेटिंग एजेंसी ICRA के 0.7 प्रतिशत के पूर्वानुमान से भी बहुत बेहतर रहा। इस सुधार के पीछे मुख्य रूप से दो कारण हैं:

मजबूत रेमिटेंस: विदेशों में काम करने वाले भारतीयों द्वारा उम्मीद से कहीं ज्यादा पैसा देश में भेजा गया।

सर्विस सेक्टर से बंपर कमाई: सर्विस सेक्टर से होने वाली कमाई (invisibles) में सालाना आधार पर 19.9 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई और यह 66.1 बिलियन डॉलर तक पहुंच गई। इस कमाई ने 68.5 बिलियन डॉलर के माल व्यापार घाटे (merchandise trade deficit) को लगभग बराबर कर दिया।

आगे की राह में चुनौती: ICRA ने चेतावनी दी है कि यह राहत लंबे समय तक नहीं रह सकती है। एजेंसी का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में माल व्यापार घाटे में तेज बढ़ोतरी के कारण चालू खाता घाटा फिर से बढ़कर 13-15 बिलियन डॉलर (जीडीपी का 1.5 प्रतिशत) तक पहुंच सकता है।

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