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Up Kiran, Digital Desk: अमेरिका में H-1B वीज़ा को लेकर लगातार बढ़ते विवाद और ट्रंप प्रशासन द्वारा वीज़ा शुल्क को $1,00,000 तक बढ़ाने के प्रस्ताव ने भारतीय प्रोफेशनल्स की नींद उड़ा दी है। आईटी और तकनीकी क्षेत्र में करियर बनाने का सपना देखने वाले हजारों युवाओं के लिए यह फैसला एक बड़ा झटका साबित हो सकता है। अब अमेरिका में करियर बनाना उतना आसान नहीं रहा जितना पहले हुआ करता था।

जर्मनी ने खोले नए रास्ते

अमेरिका की सख्त नीतियों के बीच जर्मनी भारतीयों के लिए एक नई उम्मीद बनकर उभरा है। भारत में जर्मनी के राजदूत ने विशेष रूप से आईटी, मैनेजमेंट, विज्ञान और टेक्नोलॉजी के क्षेत्रों में काम करने वाले युवाओं को वहां के अवसरों का लाभ उठाने का सुझाव दिया है। जर्मनी न केवल रोजगार दे रहा है, बल्कि स्थिर और सुरक्षित करियर की संभावना भी साथ ला रहा है।

स्थिर नियम और करियर ग्रोथ का भरोसा

जर्मनी की इमिग्रेशन पॉलिसी तुलनात्मक रूप से काफी स्पष्ट और स्थिर मानी जाती है। राजदूत का कहना है कि उच्च कौशल वाले भारतीय पेशेवरों के लिए वहां लगातार नए दरवाज़े खुल रहे हैं। यूरोप की प्रमुख अर्थव्यवस्था होने के कारण जर्मनी में रोजगार के साथ-साथ बेहतर जीवन स्तर भी संभव है।

रुपया बनाम यूरो: खर्च की प्लानिंग जरूरी

जर्मनी जाने की योजना बना रहे भारतीयों के लिए मुद्रा विनिमय दर एक अहम पहलू है। ताज़ा आंकड़ों के अनुसार ₹1 लाख, जर्मनी में लगभग €955.95 के बराबर है। रुपये की वैल्यू हाल के महीनों में यूरो के मुकाबले कमजोर हुई है, इसलिए छात्रों और काम करने वालों को बजट बनाते समय इस अंतर को ध्यान में रखना जरूरी है।

उदाहरण के लिए, अगर किसी के पास ₹10 लाख हैं, तो वह जर्मनी में करीब €9559 प्राप्त करेगा।

क्यों बनता जा रहा है जर्मनी आकर्षण का केंद्र?

जर्मनी सिर्फ एक विकसित देश नहीं, बल्कि एक ऐसा विकल्प बन चुका है जहाँ भारतीय युवाओं को करियर की संभावनाएं, अच्छी जीवनशैली और स्पष्ट इमिग्रेशन नियम मिलते हैं। तकनीकी क्षेत्र में खासकर जर्मनी में स्किल्ड टैलेंट की मांग बढ़ रही है। यही कारण है कि अमेरिकी नीतियों से निराश प्रोफेशनल्स अब यूरोप की तरफ रुख कर रहे हैं।