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Up Kiran, Digital Desk: भारत के लिए यह एक बहुत बड़ा और ऐतिहासिक दिन है। देश ने अपना पहला, पूरी तरह से भारत में बना 4G (जो 5G के लिए भी तैयार है) नेटवर्क लॉन्च कर दिया है। इसके साथ ही, देशभर में लगभग 98,000 स्वदेशी 4G टावर भी शुरू कर दिए गए हैं, जो पूरी तरह से हमारी अपनी तकनीक पर काम करते हैं।

यह एक ऐसी कामयाबी है जो ‘आत्मनिर्भर भारत’ के सपने को साकार करती है। इस नेटवर्क का कोर सिस्टम सी-डॉट (C-DOT) ने बनाया है, जबकि रेडियो नेटवर्क तेजस नेटवर्क्स ने और इन सबको जोड़ने का काम टीसीएस (TCS) ने किया है। यह दिखाता है कि भारत अब तकनीक के मामले में किसी से पीछे नहीं है।

अब हम किसी पर निर्भर नहीं

अब तक हम 2G, 3G, और 4G जैसी सेवाओं के लिए विदेशी तकनीक पर निर्भर थे। लेकिन कोरोना महामारी के बाद देश ने आत्मनिर्भरता की राह पकड़ी और बिलकुल शुरुआत से अपना 4G नेटवर्क तैयार कर लिया। इस कामयाबी के साथ, भारत अब दुनिया के उन पांच देशों में शामिल हो गया है, जिनके पास अपनी खुद की 4G तकनीक है।

BSNL की नई उड़ान और गांव-गांव तक इंटरनेट

BSNL का यह 5G-रेडी 4G नेटवर्क न सिर्फ आज लोगों को इंटरनेट से जोड़ रहा है, बल्कि भविष्य में इसे आसानी से 5G में अपग्रेड भी किया जा सकेगा। अब तक देश भर में 92,000 से ज़्यादा 4G साइटें शुरू हो चुकी हैं, जिनसे 2.2 करोड़ से ज़्यादा नागरिक जुड़ चुके हैं। खास बात यह है कि इनमें से 20 लाख लोग ऐसे हैं, जो पहली बार इंटरनेट की दुनिया से जुड़े हैं। यह नेटवर्क हर दिन लगभग चार पेटाबाइट डेटा को पूरी कुशलता और सुरक्षा के साथ संभाल रहा है।

इसका सबसे बड़ा फायदा आदिवासी इलाकों, दूर-दराज के गांवों और पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को मिलेगा। अब गांवों के बच्चे ऑनलाइन क्लास ले पाएंगे, किसान घर बैठे फसलों के दाम जान सकेंगे और मरीज टेलीमेडिसिन के जरिए डॉक्टरों से सलाह ले सकेंगे। इसके अलावा, बेहतर और सुरक्षित कनेक्टिविटी से हमारी सेना को भी बड़ा सहारा मिलेगा।

देश की सुरक्षा और अर्थव्यवस्था दोनों मजबूत

अपना 4G नेटवर्क होने का मतलब है कि अब हमारा अपने टेलीकॉम इन्फ्रास्ट्रक्चर पर पूरा नियंत्रण होगा। इससे विदेशी तकनीक पर हमारी निर्भरता कम होगी और देश की सुरक्षा भी मजबूत होगी। साथ ही, स्थानीय स्तर पर इसके निर्माण और रखरखाव से रोजगार के नए अवसर पैदा हो रहे हैं और देश में कुशल लोगों की एक नई फौज तैयार हो रही है।

इस देसी 4G नेटवर्क को बनाने में सिर्फ 22 महीने लगे, जो दूसरे देशों के मुकाबले काफी तेज है। इसी देसी तकनीक के भरोसे BSNL, जो 17 सालों से आर्थिक तंगी से जूझ रही थी, अब लगातार मुनाफा कमा रही है। भारत में बने इस नेटवर्क में दुनिया के कई देशों ने भी दिलचस्पी दिखाई है, जिससे भविष्य में इसके निर्यात की भी काफी संभावनाएं हैं।