_876572432.png)
Up Kiran, Digital Desk: बिहार की राजनीति में जहां एक ओर आगामी चुनावों को लेकर सरगर्मी तेज हो रही है, वहीं दूसरी ओर जनप्रतिनिधियों को मिल रही जानलेवा धमकियों ने पूरे प्रदेश को चिंता में डाल दिया है। ताजा मामला उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी से जुड़ा है, जिन्हें गोली मारने की धमकी एक अज्ञात नंबर से भेजे गए संदेश के ज़रिए दी गई है। यह संदेश सीधे उन्हें नहीं, बल्कि उनके एक समर्थक के मोबाइल पर भेजा गया, जिससे प्रदेश में खौफ और असुरक्षा का माहौल और गहरा गया है।
सुरक्षा व्यवस्था पर उठते सवाल
उपमुख्यमंत्री को निशाना बनाने की धमकी कोई साधारण बात नहीं है। जब राज्य का दूसरा सबसे बड़ा पद संभालने वाले व्यक्ति को इस तरह खुलेआम धमकाया जा सकता है, तो आम जनता की सुरक्षा को लेकर सवाल उठना लाज़िमी है। समर्थक द्वारा धमकी की जानकारी पुलिस को देने के बाद से प्रशासन सतर्क हो गया है और तकनीकी जांच के माध्यम से उस नंबर की पहचान करने की कोशिश की जा रही है जिससे यह संदेश भेजा गया।
केवल सम्राट नहीं, कई अन्य नेता भी निशाने पर
यह घटना कोई पहली नहीं है। इसी महीने केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान को भी बम से उड़ाने की धमकी सोशल मीडिया पर दी गई थी। यह धमकी इंस्टाग्राम के माध्यम से मिली थी, जिसे पार्टी प्रवक्ता ने पटना साइबर थाने में रिपोर्ट कराया। इस मामले में एक "टाइगर मेराज इदरीसी" नामक इंस्टाग्राम यूज़र पर आरोप लगाया गया है कि उसने एक यूट्यूब पोस्ट पर भयानक टिप्पणी की थी, जो साफ तौर पर आपराधिक मंशा का संकेत देती है।
नेताओं की सुरक्षा में बढ़ती चुनौती
पिछले कुछ महीनों में उपेंद्र कुशवाहा, पप्पू यादव, वीणा देवी और प्रदीप सिंह जैसे नेताओं को भी जान से मारने की धमकियाँ मिल चुकी हैं। उपेंद्र कुशवाहा को तो लॉरेंस बिश्नोई गैंग से फोन पर सात बार धमकी मिली, जिनमें उनसे किसी खास राजनीतिक दल की आलोचना बंद करने के लिए कहा गया था। वहीं, वैशाली की सांसद वीणा देवी को एक गुमनाम कॉलर ने गाली-गलौज करते हुए “मार डालने” की धमकी दी।
नेपाल कनेक्शन और अंतरराष्ट्रीय चिंता
भाजपा सांसद प्रदीप सिंह को नेपाल के एक नंबर से धमकी भरा मैसेज मिला, जिसमें एक अपराधी की रिहाई की मांग की गई थी। इस मामले ने अंतरराष्ट्रीय सीमा पार से हो रहे साइबर और टेलीकॉम हमलों को भी उजागर कर दिया है, जो भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बन सकते हैं।
आम नागरिकों पर भी असर
इन घटनाओं का असर सिर्फ नेताओं तक सीमित नहीं है। जब लगातार जनप्रतिनिधियों को धमकियाँ मिलती हैं, तो जनता के मन में भी डर और असुरक्षा का माहौल बनता है। आम लोग यह सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि जब नेता खुद सुरक्षित नहीं हैं, तो उनकी सुरक्षा कौन सुनिश्चित करेगा?
--Advertisement--