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Up Kiran, Digital Desk: भारत के हिमालय क्षेत्र में एक बेहद दुर्लभ और बहुमूल्य प्राकृतिक औषधि पाई जाती है जिसे "हिमालयन वियाग्रा" या यार्सागुम्बा कहा जाता है। यह जड़ी-बूटी न केवल अपने चिकित्सीय गुणों के लिए प्रसिद्ध है बल्कि यह पूरे विश्व में अपनी दुर्लभता के कारण अत्यधिक मूल्यवान भी मानी जाती है। दरअसल इसका बाजार मूल्य एक किलो के लिए 20 लाख रुपये तक पहुँच सकता है जिससे यह दुनिया की सबसे महंगी औषधियों में से एक बन जाती है।

यह अनूठी जड़ी-बूटी एक प्रकार के फंगस से उत्पन्न होती है जो विशेष रूप से 3500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित पहाड़ी क्षेत्रों में उगता है। हिमालयी क्षेत्र में पाए जाने वाले इस पौधे का उत्पादन प्रक्रिया भी काफी दिलचस्प है। यह कीटों द्वारा किए जाते हैं जो इस पौधे के जीवन चक्र के अहम हिस्से होते हैं।

यार्सागुम्बा में पोषक तत्वों की एक विस्तृत श्रृंखला पाई जाती है, जिसमें प्रोटीन, पेप्टाइड्स, विटामिन बी-1, बी-2 और बी-12, और अमीनो एसिड शामिल हैं। ये सभी तत्व शरीर को मजबूती प्रदान करने के साथ-साथ ऊर्जा स्तर को भी बनाए रखते हैं।

इस जड़ी-बूटी के अन्य स्वास्थ्य लाभों में किडनी और फेफड़ों को मजबूत करना शामिल है। इसके अलावा यार्सागुम्बा का उपयोग पुरुषों की यौन स्वास्थ्य के लिए भी किया जाता है क्योंकि यह शुक्राणुओं की संख्या में वृद्धि में सहायक माना जाता है। यही कारण है कि यह जड़ी-बूटी चीन जैसे देशों में अत्यधिक मांग में रहती है जहां इसे विभिन्न प्रकार की दवाओं में उपयोग किया जाता है।

इसकी बढ़ती मांग और उच्च मूल्य के कारण यार्सागुम्बा का अवैध व्यापार भी एक बड़ा मुद्दा बन चुका है जिसके चलते इस जड़ी-बूटी के प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव बढ़ रहा है। बावजूद इसके यह जड़ी-बूटी भारतीय पारंपरिक चिकित्सा और आयुर्वेद में एक अनमोल खजाने के रूप में माना जाता है जिसका उपयोग स्वास्थ्य लाभ के लिए सदियों से किया जा रहा है।

चीन और अन्य देशों द्वारा इसकी मांग के कारण यार्सागुम्बा अब वैश्विक बाजार में एक महत्वपूर्ण संसाधन बन चुका है जो न केवल भारत बल्कि विश्वभर में औषधीय खोजों के लिए आकर्षण का केंद्र बन चुका है।

 

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