Up Kiran, Digital Desk: भारत और रूस के बीच सैन्य सहयोग को लेकर बड़ा कदम उठाया गया है। क्रेमलिन ने पुष्टि की थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच होने वाली मुलाकात में सुखोई Su-57 स्टील्थ लड़ाकू विमानों और एस-400 वायु रक्षा प्रणालियों पर चर्चा की जाएगी। इस बैठक से पहले, रूस ने 4-5 दिसंबर को पुतिन की भारत यात्रा से ठीक पहले रसद सहायता के पारस्परिक आदान-प्रदान (reLOS) समझौते को मंजूरी दी।
यह समझौता दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग को और अधिक मजबूत करेगा। इसके तहत, भारतीय और रूसी सेनाओं के बीच विभिन्न सैन्य इकाइयों, युद्धपोतों और विमानों की तैनाती को लेकर महत्वपूर्ण नियम तय किए गए हैं। साथ ही, इन इकाइयों को इंधन, रखरखाव, बर्थिंग, आपूर्ति और अन्य रसद समर्थन की पूरी व्यवस्था भी उपलब्ध कराई जाएगी।
रूस-भारत सैन्य सहयोग का नया मोड़: रिलोस समझौता और समृद्ध भविष्य
रिलोस समझौता, जो पहले 18 फरवरी को हस्ताक्षरित किया गया था, अब रूसी संसद के निचले सदन, स्टेट ड्यूमा से भी पारित हो चुका है। इस समझौते का उद्देश्य दोनों देशों के बीच पारस्परिक सैन्य सहयोग को और अधिक बढ़ावा देना है। ड्यूमा के अध्यक्ष व्याचेस्लाव वोलोडिन ने इस पहल को 'दीर्घकालिक सहयोग' की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया।
रिलोस समझौता विशेष रूप से सैन्य अभ्यास, मानवीय सहायता अभियान, और आपदा राहत कार्यों के दौरान लागू होगा। इसके अलावा, दोनों देशों के हवाई क्षेत्र और बंदरगाहों के बीच संपर्क भी आसान होगा, जिससे दोनों देशों की सेनाओं के लिए एक-दूसरे के क्षेत्र में संचालन करना सरल हो जाएगा।
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