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Up Kiran, Digital Desk: भारत और अमेरिका के रिश्ते हमेशा से वैश्विक मंच पर बेहद अहम रहे हैं। इन रिश्तों की अहमियत को समझते हुए, भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इन संबंधों की प्रकृति पर कुछ बहुत ही व्यावहारिक और स्पष्ट बातें कही हैं।

जयशंकर ने साफ तौर पर कहा कि किसी भी रिश्ते में, चाहे वह कितना भी गहरा या मजबूत क्यों न हो, मतभेद और चुनौतियाँ हमेशा बनी रहती हैं। यह एक सामान्य और स्वाभाविक बात है। उनका कहना था कि हमें यह स्वीकार करना होगा कि रिश्ते कभी भी 'मुद्दों या मतभेदों से पूरी तरह मुक्त' नहीं हो सकते।

उन्होंने जोर दिया कि भारत और अमेरिका के बीच के संबंध इतने परिपक्व हो चुके हैं कि वे इन मतभेदों को प्रभावी ढंग से संभाल सकते हैं और बातचीत के ज़रिए उनका समाधान निकाल सकते हैं। यह परिपक्वता ही रिश्तों को स्थिरता और गहराई देती है।

जयशंकर ने इस बात पर भी रोशनी डाली कि भारत और अमेरिका के बीच की साझेदारी केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि रणनीतिक रूप से भी बेहद महत्वपूर्ण है। दोनों देश कई वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर मिलकर काम करते हैं, और यह सहयोग लगातार बढ़ रहा है। उनके बयान से स्पष्ट होता है कि दोनों देशों के नेतृत्व के बीच गहरी समझ और विश्वास मौजूद है, जो किसी भी मतभेद को दूर करने में सहायक है।

रिश्तों में उतार-चढ़ाव आते रहेंगे, लेकिन भारत और अमेरिका के बीच का गहरा विश्वास और साझा हित इस साझेदारी को और भी मजबूत बनाएंगे। यह एक यथार्थवादी दृष्टिकोण है जो बताता है कि मजबूत रिश्ते मतभेदों के बावजूद आगे बढ़ते हैं और सहयोग के नए रास्ते तलाशते हैं

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