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Up Kiran, Digital Desk: पाकिस्तान एक बार फिर आतंक की साजिश रचकर खुद को बहादुर समझ बैठा था। पहलगाम में हुए आतंकी हमले और बैसरन घाटी में धर्म पूछकर किए गए निर्दोष लोगों के नरसंहार ने पूरे देश को ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को सदमे में डाल दिया। जिन बहन-बेटियों के हाथों की मेंहदी का रंग भी अभी फीका नहीं पड़ा था, उन्हें विधवा बना दिया गया। ये सिर्फ एक हमला नहीं था ये भारत की अस्मिता को ललकार था।
भारत की हुंकार, ऐलान-ए-जंग
इस अमानवीय घटना के बाद भारत ने चुप रहने की बजाय करारा जवाब देने का निर्णय लिया। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ शब्दों में कहा था – “इस हमले को अंजाम देने वालों को और उनके सरपरस्तों को मिट्टी में मिला दिया जाएगा।”
फिर आया वह ऐतिहासिक पल, जब ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च किया गया। केवल 23 मिनट में इंडियन आर्म्ड फोर्सेज ने पीओके और पाकिस्तान के अंदर छिपे 9 टेरर कैंप्स को ध्वस्त कर दिया।
पाक की नापाक हरकत और भारत की धधकती प्रतिक्रिया
इस जवाबी हमले से बौखलाए पाकिस्तान ने कट्टरपंथी आर्मी चीफ आसिम मुनीर के इशारे पर भारतीय सैन्य बेस को निशाना बनाने की कोशिश की, मगर भारत ने इस हमले को न केवल नाकाम किया, बल्कि पाकिस्तान के 11 एयरबेस तबाह कर दिए।
इसके बाद पाकिस्तान ने शांति की दुहाई देनी शुरू कर दी। मगर तब तक बहुत देर हो चुकी थी। भारत ने ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल से ऐसा प्रहार किया कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ अब तक उसका खौफ नहीं भुला पाए हैं।
अब तक ब्रह्मास्त्र नहीं चला… तो सोचिए अग्नि-V का क्या असर होगा!
जिस ब्रह्मोस मिसाइल की मारक क्षमता 450 किमी है (और जिसे 800 किमी तक ले जाने की तैयारी चल रही है), वही जब पाकिस्तान की कमर तोड़ सकती है, तो सोचिए अगर भारत ने अपना ‘ब्रह्मास्त्र’ – यानी अग्नि-V इंटर-कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल – इस्तेमाल किया तो क्या होगा?
अग्नि-V: दुश्मन के लिए कयामत की आहट
भारत द्वारा विकसित अग्नि-V मिसाइल दुनिया की उन सबसे खतरनाक ICBMs में गिनी जाती है, जो न्यूक्लियर और कन्वेंशनल दोनों वॉरहेड ले जाने में सक्षम है। इसकी रेंज 5000 से 7000 किलोमीटर तक मानी जाती है, जिससे पाकिस्तान तो क्या, चीन भी पूरी तरह इसकी जद में आता है। यही नहीं अग्नि-V अब MIRV टेक्नोलॉजी से लैस हो चुकी है।
MIRV तकनीक: एक मिसाइल, कई तबाहियां
MIRV यानी Multiple Independently Targetable Re-entry Vehicle – यह तकनीक अग्नि-V को और भी खतरनाक बना देती है।
सोचिए, एक बस जिसमें यात्रियों की जगह हो परमाणु बम और गंतव्य हो दुश्मन के अलग-अलग सैन्य ठिकाने। MIRV तकनीक यही करती है – एक ही मिसाइल से कई टारगेट पर अचूक प्रहार।
11 मार्च 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मिशन दिव्यास्त्र के तहत MIRV तकनीक के सफल परीक्षण की घोषणा की और भारत को उस खास क्लब में शामिल कर दिया, जिसमें केवल कुछ ही देश हैं – अमेरिका, रूस, चीन और अब भारत।
अब पाकिस्तान क्या करेगा
पाकिस्तान के पास ना अग्नि-V जैसा कोई जवाब है, ना MIRV जैसी कोई तकनीक। उसकी पूरी रणनीति आतंकियों की ढाल लेकर छिपने की रही है। मगर अब भारत उस स्तर पर पहुंच चुका है, जहां जवाब सिर्फ शब्दों से नहीं, सर्जिकल स्ट्राइक, मिसाइल अटैक और प्रौद्योगिकी शक्ति से दिए जाते हैं।
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