
Up Kiran, Digital Desk: एक नई और बेहद अहम रिपोर्ट ने पूरी दुनिया का ध्यान भारत की ओर खींच लिया है। इस रिपोर्ट का कहना है कि भारत, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की दुनिया में अगला सुपरपावर बनने की दहलीज पर खड़ा है। अगर भारत ने अपने पत्ते सही तरीके से खेले, तो वह 2028 तक ग्लोबल AI सॉफ्टवेयर और सर्विस मार्केट से 100 से 120 अरब डॉलर (लगभग 10 लाख करोड़ रुपये) तक की कमाई कर सकता है।
यह रकम इतनी बड़ी है कि यह भारत के मौजूदा IT सर्विस मार्केट का 50% है!
लेकिन क्या हम इस सुनहरे मौके को भुनाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं? बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (BCG) द्वारा ग्लोबल फिनटेक फेस्ट में जारी की गई इस रिपोर्ट में एक बहुत बड़ी चुनौती का भी जिक्र किया गया है, जिसे जानना हर भारतीय के लिए जरूरी है।
भारत का ‘2-20 वाला पेंच: यह भारत की AI कहानी की सबसे बड़ी चुनौती है। इसे "2-20 का पेंच" (2–20 conundrum) कहा जा रहा है। इसका मतलब समझिए:
आज दुनिया का लगभग 20% डेटा (यानी AI का कच्चा माल) भारत में पैदा हो रहा है। हम और आप जो हर दिन इंटरनेट पर कर रहे हैं, वो सब डेटा है।
लेकिन इस डेटा को प्रोसेस करने और स्टोर करने के लिए जो 'फैक्ट्री' (यानी डेटा सेंटर) चाहिए, उसकी क्षमता हमारे पास पूरी दुनिया की सिर्फ 2% है।
यह ठीक वैसा ही है जैसे आपके पास खेती करने के लिए दुनिया की सबसे उपजाऊ जमीन तो हो, लेकिन अनाज को रखने और प्रोसेस करने के लिए गोदाम ही न हों।
डेटा सेंटर बनाने होंगे: भारत को 2030 तक ग्लोबल डेटा सेंटर क्षमता में अपनी हिस्सेदारी 2% से बढ़ाकर कम से कम 8% (लगभग 17 गीगावाट) करनी होगी। इसके लिए बड़े पैमाने पर जमीन और ग्रीन एनर्जी की जरूरत पड़ेगी।
AIKosh को बनाना होगा 'ज्ञानकोश': भारत को अपने राष्ट्रीय डेटा प्लेटफॉर्म 'AIKosh' (यानी राष्ट्रीय डेटा का खजाना) को और भी बड़ा और बेहतर बनाना होगा, ताकि भारत और दूसरे विकासशील देशों की जरूरतों के हिसाब से AI मॉडल बनाए जा सकें।
भारत के लिए AI बनाओ: हमें ऐसे AI मॉडल बनाने पर जोर देना होगा जो हमारी अपनी समस्याओं को सुलझाएं, जैसे - स्वास्थ्य, खेती-किसानी, शिक्षा और गरीबों तक बैंकिंग पहुंचाना।
हम क्यों जीत सकते हैं यह रेस: चिंताओं के बावजूद, भारत के पास इस रेस को जीतने के लिए तीन ब्रह्मास्त्र हैं:
दुनिया का सबसे बड़ा AI कंज्यूमर बाजार: हमारे पास AI को इस्तेमाल करने वाले करोड़ों लोग हैं।
AI के लिए सबसे बड़ी 'प्रयोगशाला': दुनिया की कोई भी कंपनी अपने AI आइडिया को इतने बड़े पैमाने पर टेस्ट नहीं कर सकती, जितना भारत में कर सकती है।
टेक्नोलॉजी एक्सपोर्ट करने का दम: हमारी IT इंडस्ट्री पहले से ही दुनिया को टेक्नोलॉजी बनाकर बेच रही है। हमारे पास स्केल और काम करने की क्षमता, दोनों हैं।
सरकार का 'इंडिया AI मिशन' भी इसी दिशा में एक बड़ा और निर्णायक कदम है।
पूरी दुनिया इस वक्त एक 'AI सुपरसाइकिल' से गुजर रही है। पिछले 5 सालों में AI में 1.3 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा का निवेश हुआ है, जो फिनटेक में हुए निवेश से चार गुना ज्यादा है। AI इतनी तेजी से फैल रहा है कि इसने सिर्फ दो साल में 40% लोगों तक अपनी पहुंच बना ली है, जबकि इंटरनेट को ऐसा करने में पांच साल लगे थे।
यह साफ है कि मौका बहुत बड़ा है। भारत के पास हुनर, बाजार और इच्छाशक्ति, तीनों हैं। बस हमें अपनी '2-20 वाले पेंच' को जल्द से जल्द सुलझाना होगा।