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भारत का पड़ोसी देश नेपाल में पोखरा अंतरराष्‍ट्रीय हवाई अड्डे को लेकर उत्पन्न विवाद तूल पकड़ता जा रहै है। नेपाल के पीएम पुष्‍प कमल दहल प्रचंड ने चीनी अफसरों की मौजूदगी में पोखरा हवाई अड्डे का उद्घाटन किया है।

नेपाल के पोखरा हवाई अड्डे को ड्रैगन की आर्थिक और तकनीकी सहायता से तैयार किया गया है जिसमें 22 अरब रुपये का खर्च आया है। केपी ओली के समर्थन से पीएम बने प्रचंड ने चीन को हिमालय में रेलगाड़ी चलाने का न्‍योता तक दे डाला। वहीं अब नेपाली जानकारों का कहना है कि अगर हिंदुस्तान ने अपना रुख नहीं बदला तो यह हवाई अड्डा नेपाल के लिए गले की फांस बन सकता है।

तो वहीं चीन ने जबरन इस पोखरा हवाई अड्डे प्रॉजेक्‍ट को कर्ज का जाल कही जाने वाली बीआरआई परियोजना का भाग बताकर विवाद को और ज्‍यादा भड़का दिया है। ड्रैगन का दावा है कि यह हवाई अड्डा उसने अपनी महत्‍वाकांक्षी बेल्‍ट एंड रोड परियोजना के तहत बनाया है मगर नेपाल का कहना है कि ऐसा कोई सौदा चीन के साथ नहीं हुआ था। यही नहीं नेपाल ने चीन से डिमांड की है कि इस काम के लिए दिए पैसे को 'कर्ज' की बजाय सहायता में बदला जाए।

इसी कड़ी में एक्सपर्ट ने चेतावनी दी है कि यदि हिंदुस्तान ने साथ नहीं दिया तो यह अरबों रुपये में बना ड्रीम हवाई अड्डा नेपाल के लिए सफेद हाथी साबित हो सकता है। यह हवाई अड्डा नेपाल के अन्‍नपूर्णा सर्किट को जोड़ता है जो पर्वतारोहियों के बीच काफी मशहूर है। नेपाल ने इसे इंटरनैशनल एयरपोर्ट तो बना दिया है मगर यहां इंटरनेशनल उड़ानों के आने के आसार दूर-दूर तक नहीं दिखाई दे रहे हैं। वहीं चीन के एम्बसी ने इसे बीआरआई प्रॉजेक्‍ट का भाग बताकर यह स्पष्ट कर दिया है कि नेपाल में ड्रैगन का प्रभाव बढ़ता ही जा रहा है।

 

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