
Up Kiran, Digital Desk: यह सिर्फ़ एक सपना नहीं, बल्कि भारत के लाखों होनहार और प्रतिभाशाली युवाओं के लिए उनके करियर की सबसे बड़ी उड़ान होती है। और इस उड़ान का टिकट होता है H1B वीज़ा। लेकिन पिछले कुछ समय से अमेरिका इस वीज़ा कार्यक्रम में कुछ ऐसे बड़े और सख़्त बदलाव करने की कोशिश कर रहा है, जिससे भारतीय पेशेवरों और उनके परिवारों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गई हैं।
इन चिंताओं के बीच, भारत सरकार ने अब इस मामले पर अपनी चुप्पी तोड़ी है और एक बहुत ही सधा हुआ, लेकिन बेहद मज़बूत संदेश दिया है।
क्या है मामला और क्यों है इतनी चिंता?
अमेरिका H1B वीज़ा देने के पूरे सिस्टम को ही बदलने की तैयारी में है। दो सबसे बड़े और चौंकाने वाले बदलाव प्रस्तावित हैं:
लॉटरी सिस्टम ख़त्म: अब तक H1B वीज़ा एक कम्प्यूटराइज़्ड लॉटरी के ज़रिए मिलता था, जिसमें किस्मत का बड़ा खेल होता था। अब अमेरिका इसे बदलकर 'सैलरी-आधारित' करना चाहता है। यानी अब किस्मत से नहीं, बल्कि सैलरी के आधार पर वीजा मिलेगा। जिसकी सैलरी जितनी ज़्यादा, उसके मौके उतने ज़्यादा।
फीस में बेतहाशा बढ़ोतरी: पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक प्रस्ताव में H1B वीज़ा की आवेदन फीस को $100,000 (लगभग 80-85 लाख रुपये) करने की बात कही है। यह फीस पहले कंपनी के साइज़ के हिसाब से $2,000 से $5,000 के बीच होती थी। यह एक बहुत बड़ा और झटका देने वाला बदलाव है।
चूँकि H1B वीज़ा पाने वालों में सबसे बड़ी संख्या (लगभग 71%) भारतीयों की ही होती है, इसलिए इन बदलावों का सबसे गहरा असर भी हम पर ही पड़ेगा।
भारत का सधा हुआ, पर सख़्त जवाब
इस पूरे मामले पर भारत के विदेश मंत्रालय ने अपना पक्ष एकदम साफ कर दिया है। मंत्रालय ने कहा है:
"हम इस मामले से जुड़े सभी संबंधित पक्षों के साथ लगातार बातचीत बनाए रखेंगे।"
यह सुनने में भले ही एक बहुत ही साधारण और डिप्लोमैटिक लाइन लगे, लेकिन इसके गहरे मायने हैं। आसान भाषा में समझें तो, भारत अमेरिका को यह कह रहा है:
हमारी नज़र हर कदम पर है: "बातचीत बनाए रखेंगे" का मतलब है कि हम इस मामले में होने वाले हर छोटे-बड़े बदलाव पर गहरी नजर रखे हुए हैं और हम इसे नज़रअंदाज नहीं करेंगे।
यह एकतरफा फैसला नहीं हो सकता: भारत का संदेश साफ है कि आप हमारे पेशेवरों से जुड़ा कोई भी फैसला लेने से पहले हमसे बात किए बिना आगे नहीं बढ़ सकते।
हम अपने लोगों के साथ खड़े हैं: यह सबसे बड़ा और सबसे अहम संदेश है। भारत ने अपने लाखों हुनरमंद युवाओं और उनके परिवारों को यह भरोसा दिलाया है कि इस मुश्किल घड़ी में सरकार उनके हितों की रक्षा के लिए हर ज़रूरी कदम उठाएगी और चुप नहीं बैठेगी। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी यह मामला अमेरिकी अधिकारियों के सामने उठाया है।
यह भी बताया कि हम सिर्फ 'लेते' नहीं, 'देते' भी हैं
भारत ने अमेरिका को यह भी याद दिलाया कि हमारे हुनरमंद पेशेवर सिर्फ अमेरिका से नौकरी 'लेते' नहीं हैं, बल्कि वे अपनी मेहनत, अपने हुनर और अपने इनोवेशन से अमेरिकी अर्थव्यवस्था को 'देते' भी बहुत कुछ हैं। यह एक दो-तरफा रास्ता है जिससे दोनों देशों को फायदा होता है।
यह बयान उस नए भारत की तस्वीर है जो अब सिर्फ अनुरोध नहीं करता, बल्कि बराबरी की सतह पर बातचीत करता है और अपने लोगों के हक़ के लिए मजबूती से खड़ा होता है।