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Up Kiran, Digital Desk: वर्तमान में वैश्विक व्यापार में बदलाव तेजी से हो रहे हैं। अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक तनाव के बीच, रूस ने भारत के साथ सहयोग को बढ़ावा देने की दिशा में कदम उठाए हैं। खासकर झींगा मछली और कृषि सामग्री के क्षेत्र में यह साझेदारी भारतीय किसानों और निर्यातकों के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।
रूस का भारत के झींगा निर्यात को बढ़ावा देने का प्रयास
रूस के उप-प्रधानमंत्री दिमित्री पात्रुशेव के संभावित भारत दौरे का उद्देश्य भारतीय झींगा मछली के निर्यात को बढ़ाना है। भारतीय झींगा की गुणवत्ता विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त है, लेकिन अमेरिका के द्वारा लगाए गए उच्च टैरिफ ने भारतीय निर्यातकों के लिए अमेरिकी बाजार में चुनौती पैदा कर दी है। ऐसे में रूस जैसे नए बाजार की खोज भारतीय उत्पादकों के लिए राहत लेकर आ सकती है।
अमेरिकी टैरिफ का असर और विकल्प की तलाश
पिछले कुछ समय में, अमेरिकी प्रशासन ने भारतीय झींगा उत्पादों पर भारी टैरिफ लगाया है। इससे भारत के उत्पाद अमेरिका में प्रतिस्पर्धा नहीं कर पा रहे हैं, जबकि अन्य देश जैसे इक्वाडोर, वियतनाम और चीन सस्ते दामों पर अपनी झींगा आपूर्ति करते हैं। ट्रंप सरकार की यह नीति भारत-रूस संबंधों को भी प्रभावित करती नजर आ रही है, क्योंकि अमेरिका भारत को रूस से तेल खरीदने के कारण आर्थिक दबाव में रखने की कोशिश कर रहा है।
भारत की रणनीति: व्यापार में विविधता लाना जरूरी
इस समय भारत के लिए यह महत्वपूर्ण हो गया है कि वह अपने व्यापारिक भागीदारों की विविधता बढ़ाए। रूस के साथ खाद्य, कृषि और उर्वरक क्षेत्र में सहयोग से न केवल झींगा निर्यातकों को नया बाजार मिलेगा, बल्कि देश को उर्वरक की आपूर्ति में भी मजबूती मिलेगी। इससे भारत की विदेशी बाजारों पर निर्भरता कम होगी और किसानों को फायदा होगा।