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Up Kiran, Digital Desk: इंग्लैंड दौरे पर टीम इंडिया एक दिलचस्प मोड़ पर खड़ी है। पिछला मैच हारने और कुछ प्रमुख खिलाड़ियों के चोटिल हो जाने से स्थिति चुनौतीपूर्ण हो गई है, लेकिन मैनचेस्टर में बुधवार से शुरू हो रहे चौथे टेस्ट से पहले भारतीय फैंस की निगाहें फिर एक बार चमत्कार की उम्मीद में टिकी हैं। यह सिर्फ एक मुकाबला नहीं, बल्कि ऐतिहासिक मैदान पर जीत का सूखा खत्म करने और सीरीज में वापसी की जद्दोजहद है।
चोटों ने बिगाड़ा संतुलन, रणनीति पर फिर से विचार
नीतीश रेड्डी की अनुपस्थिति ने टीम के संतुलन पर बड़ा असर डाला है। घुटने की चोट के कारण वह सीरीज से बाहर हो गए हैं, जिससे टीम को ऑलराउंड विकल्पों की कमी महसूस हो रही है। लॉर्ड्स टेस्ट में रेड्डी की गेंदबाज़ी ने भारत को अहम मौके दिलाए थे। अब उनकी जगह लेने के लिए शार्दुल ठाकुर सबसे मजबूत दावेदार नजर आ रहे हैं, लेकिन उनका हालिया फॉर्म सवालों के घेरे में है। बल्ले और गेंद दोनों से उन्हें खुद को साबित करना होगा।
क्या इस बार बदलेगा मैनचेस्टर का इतिहास?
मैनचेस्टर का ओल्ड ट्रैफर्ड मैदान भारतीय टीम के लिए अब तक एक पहेली बना हुआ है। नौ मुकाबलों में एक भी जीत दर्ज न कर पाना सिर्फ आंकड़ों की बात नहीं, बल्कि एक मानसिक अवरोध बन चुका है। चार बार भारत को हार का सामना करना पड़ा, जबकि पांच मुकाबले ड्रॉ रहे हैं। इस पृष्ठभूमि में चौथे टेस्ट में जीत सिर्फ एक स्कोरबोर्ड का हिस्सा नहीं होगी, बल्कि इतिहास में दर्ज की जाने वाली उपलब्धि होगी।
संतुलन और संयोजन की तलाश
अब सवाल ये है कि भारत किस फॉर्मूले को अपनाएगा? क्या वो फिर से लीड्स टेस्ट की तरह छह विशेषज्ञ बल्लेबाज और एक स्पिनर के कॉम्बिनेशन को दोहराएगा? उस रणनीति में करुण नायर और साई सुदर्शन को मौका मिला था। जडेजा की मौजूदगी एकमात्र स्पिन विकल्प के रूप में उस मैच में कारगर साबित हुई थी, लेकिन मैनचेस्टर की पिच कुछ अलग मांग कर सकती है।
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