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Up Kiran, Digital Desk: हाल ही में अमेरिका द्वारा कुछ भारतीय उत्पादों पर टैरिफ़ (आयात शुल्क) बढ़ाना एक ऐसी खबर है जिसने थोड़ी चिंता पैदा की है। खास तौर पर उन भारतीय निर्यातकों के लिए जो अमेरिकी बाज़ार पर निर्भर हैं। ऐसे में ये सवाल उठना लाज़मी है कि इस फैसले का भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा? लेकिन, विशेषज्ञों का मानना है कि भारत का मजबूत घरेलू बाज़ार इस प्रभाव को काफी हद तक कम करने में मदद कर सकता है।
टैरिफ़ बढ़ोतरी का मतलब और असर
सरल भाषा में कहें तो, टैरिफ़ बढ़ोतरी का मतलब है कि अमेरिका अब भारत से आयात किए जाने वाले कुछ सामानों पर ज़्यादा टैक्स लगाएगा। इससे उन सामानों की कीमत अमेरिका में बढ़ जाएगी, और शायद अमेरिकी उपभोक्ता उन्हें कम खरीदना पसंद करें। यह भारतीय निर्यातकों के लिए एक चुनौती हो सकती है, क्योंकि इससे उनके उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता (competitiveness) पर असर पड़ सकता है।
घरेलू मांग: भारत की सबसे बड़ी ताकत
यहां भारत की सबसे बड़ी ताकत सामने आती है - मजबूत घरेलू मांग। भारत दुनिया के सबसे बड़े और सबसे तेजी से बढ़ते उपभोक्ता बाज़ारों में से एक है। हमारी आबादी बहुत बड़ी है, और जैसे-जैसे लोगों की आय बढ़ रही है, उनकी खरीदने की क्षमता भी बढ़ रही है। लोग अब ज़्यादा सामान खरीद रहे हैं, चाहे वो ऑटोमोबाइल हो, इलेक्ट्रॉनिक्स हो, एफएमसीजी (FMCG) उत्पाद हो, या रियल एस्टेट।
जब घरेलू बाज़ार मजबूत होता है, तो निर्यात में आई थोड़ी कमी को आसानी से पूरा किया जा सकता है। अगर किसी उत्पाद की मांग देश के अंदर ही ज़्यादा है, तो कंपनियां निर्यात के बजाय घरेलू बाज़ार पर ज़्यादा ध्यान केंद्रित कर सकती हैं। यही वजह है कि अमेरिकी टैरिफ़ का सीधा असर उतना गहरा नहीं होगा जितना कि किसी ऐसे देश पर होता जिसका निर्यात ही उसकी अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार हो।
किन क्षेत्रों को मिल सकती है राहत?
ऑटोमोबाइल: भारत में गाड़ियों की बिक्री लगातार बढ़ रही है।
इलेक्ट्रॉनिक्स: स्मार्टफोन, टीवी और अन्य गैजेट्स की मांग तेज़ी से बढ़ रही है।
एफएमसीजी (FMCG): रोज़मर्रा के इस्तेमाल की चीज़ों की खपत भारत में हमेशा ज़्यादा रहती है।
निर्माण और रियल एस्टेट: ये क्षेत्र भी देश के भीतर की मांग से काफी प्रेरित होते हैं।
विशेषज्ञों की राय
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि भले ही अमेरिकी टैरिफ़ से कुछ क्षेत्रों को थोड़ी झटका लगे, लेकिन भारत का विविध (diversified) और मजबूत घरेलू उपभोक्ता आधार अर्थव्यवस्था को स्थिर रखने में मदद करेगा। यह भारत को वैश्विक आर्थिक उतार-चढ़ावों के प्रति कम संवेदनशील बनाता है।
अमेरिकी टैरिफ़ बढ़ोतरी एक चुनौती ज़रूर है, लेकिन भारत की अपनी घरेलू ताकत उसे इस चुनौती से उबरने में मदद करेगी। यह भारत के लिए यह भी एक अवसर है कि वो अपनी घरेलू उत्पादन क्षमता को और बढ़ाए और आत्मनिर्भर भारत (Atmanirbhar Bharat) की ओर कदम बढ़ाए।
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