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Up Kiran, Digital Desk: भारत के समुद्री भोजन, खासकर स्वादिष्ट झींगे (Prawns) के कारोबार पर अमेरिका ने एक ऐसा 'टैरिफ बम' फोड़ा है, जिससे पूरी इंडस्ट्री में हाहाकार मच गया है। अमेरिका द्वारा भारतीय झींगे पर टैक्स को बढ़ाकर 58.26% कर दिए जाने के बाद, अब यह डर पैदा हो गया है कि भारत का अरबों डॉलर का यह कारोबार डूब सकता है।

रेटिंग एजेंसी क्रिसिल (Crisil) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस एक फैसले से इस साल भारत के झींगा एक्सपोर्ट की मात्रा में 15 से 18 प्रतिशत की भारी गिरावट आ सकती है। यह भारत के समुद्री खाद्य उद्योग के लिए अब तक की सबसे बड़ी और बुरी खबरों में से एक है।

क्यों है यह इतनी बड़ी मार:इसे आसान भाषा में समझिए। भारत हर साल लगभग 5 अरब डॉलर का झींगा विदेशों में बेचता है, और इसमें से लगभग आधा (48%) अकेले अमेरिका खरीदता था। यानी, अमेरिका हमारा सबसे बड़ा और सबसे कमाऊ ग्राहक था।

अब अमेरिका ने हम पर 50% का नया पेनल्टी टैक्स लगा दिया है, जो पहले से लगे हुए टैक्स के ऊपर है। कुल मिलाकर, अब भारत से जाने वाले हर 100 रुपये के झींगे पर अमेरिका में लगभग 58 रुपये का टैक्स लगेगा। इससे हमारा झींगा वहां इतना महंगा हो जाएगा कि कोई उसे खरीदना ही नहीं चाहेगा।

अब क्या करेंगे हमारे व्यापारी? (The Plan B)

इस भारी झटके के बाद, भारतीय व्यापारी अब अपने झींगे को दूसरे बाजारों में बेचने की कोशिश कर रहे हैं, जैसे कि ब्रिटेन (जहां मुक्त व्यापार समझौते से मदद मिल सकती है), चीन और रूस।

लेकिन यह सिर्फ एक तात्कालिक समाधान है। क्रिसिल ने चेतावनी दी है कि अगर इस इंडस्ट्री को लंबी दौड़ में जिंदा रहना है, तो उसे अमेरिका पर निर्भरता कम करनी होगी, नए देश खोजने होंगे और भारत में ही झींगे की खपत को बढ़ाना होगा।

मुनाफे पर चलेगी कैंची, व्यापारियों की बढ़ेगी टेंशन

यह फैसला सिर्फ एक्सपोर्ट कम नहीं करेगा, बल्कि व्यापारियों का मुनाफा भी खत्म कर देगा।

रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल कंपनियों की आमदनी 18-20 प्रतिशत तक घट जाएगी।

चूंकि वे यह सारा टैक्स ग्राहकों पर नहीं डाल सकते, इसलिए उनका ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन घटकर सिर्फ 5-5.5% रह जाएगा, जो पहले से बहुत कम है।

इससे उनकी कर्ज चुकाने की ताकत कमजोर होगी और उनकी क्रेडिट प्रोफाइल खराब होगी।

दूसरे देशों की हो गई चांदी:भारत पर लगे इस भारी टैक्स का सीधा फायदा इक्वाडोर, वियतनाम, इंडोनेशिया और थाईलैंड जैसे देशों को मिलेगा। इन देशों पर लगने वाला टैक्स भारत के मुकाबले आधे से भी कम है, जिससे अब अमेरिकी बाजार पर इनका कब्जा हो जाएगा।