img

Up Kiran, Digital Desk: क्या आपको भी लगता है कि बाज़ार में महंगाई ज़्यादा है, लेकिन सरकारी आंकड़े कुछ और ही कहानी कहते हैं? अगर हाँ, तो इसकी एक बड़ी वजह सरकार की फ्री राशन योजना हो सकती है। अब सरकार इसी गुत्थी को सुलझाने में लग गई है और एक ऐसा तरीका निकालने की कोशिश कर रही है, जिससे महंगाई की सही और सच्ची तस्वीर सामने आ सके।

आखिर मामला क्या है: सरकार प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) के तहत देश की एक बड़ी आबादी को मुफ़्त में अनाज देती है। अभी तक जब भी सरकार महंगाई का आंकड़ा यानी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) जारी करती है, तो इस फ्री राशन की कीमत को 'शून्य' (Zero) मान लिया जाता है। ज़ाहिर है, जब इतनी बड़ी मात्रा में दी जा रही चीज़ की कीमत शून्य गिनी जाएगी, तो महंगाई दर अपने आप कम दिखेगी।

सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) का भी मानना है कि इस 'जीरो प्राइसिंग' की वजह से महंगाई के आंकड़े पर "काफी ज़्यादा नीचे की ओर असर" पड़ता है, जो शायद असलियत से दूर हो।

सरकार का नया कदम: इस समस्या को दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने एक 'डिस्कशन पेपर' जारी किया है। यह एक तरह का प्रस्ताव है, जिसमें सरकार ने इस मुद्दे पर जानकारों, शिक्षाविदों, सरकारी विभागों और आम लोगों से उनकी राय और सुझाव मांगे हैं।सरकार दुनिया के दूसरे देशों में अपनाए जा रहे तरीकों पर भी गौर कर रही है ताकि भारत के लिए सबसे बेहतर रास्ता निकाला जा सके।

इस पूरी कवायद का मकसद यह है कि मुफ़्त अनाज योजना के लाभ को नज़रअंदाज़ किए बिना महंगाई का आंकड़ा इतना सटीक हो कि वो बाज़ार की असली हालत को दिखा सके। लोगों से 22 अक्टूबर तक इस पर अपने सुझाव भेजने को कहा गया है।

आम आदमी पर क्या होगा असर: यह मामला सीधे तौर पर आपकी जेब से जुड़ा है। CPI का आंकड़ा ही तय करता है कि महंगाई भत्ता (DA) कितना बढ़ेगा। इसके अलावा, रिज़र्व बैंक भी अपनी नीतियां इसी आंकड़े के आधार पर बनाता है, जिसका असर आपके लोन की किश्तों पर पड़ता है। अगर महंगाई का आंकड़ा सही होगा, तो सरकार की नीतियां भी ज़्यादा असरदार होंगी और आम आदमी को राहत मिल सकेगी।