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Up Kiran, Digital Desk: भारतीय फार्मा और हेल्थकेयर सेक्टर ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि यह निवेशकों के लिए सोने की खान बना हुआ है. 2025 की तीसरी तिमाही (जुलाई से सितंबर) में इस सेक्टर में 3.5 अरब डॉलर (लगभग 29,000 करोड़ रुपये) के सौदे हुए हैं, जो इस क्षेत्र में निवेशकों के गहरे भरोसे को दिखाता है.

एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, इस दौरान फार्मा और हेल्थकेयर कंपनियों में पैसा लगाने के लिए होड़ सी मची रही. ये सौदे मर्जर और एक्विजिशन (M&A) यानी कंपनियों के विलय और खरीद के साथ-साथ प्राइवेट इक्विटी (PE) निवेश के रूप में हुए हैं.

कहां लगा सबसे ज़्यादा पैसा: निवेशकों की सबसे ज़्यादा दिलचस्पी दवा बनाने वाली कंपनियों, मल्टी-स्पेशियलिटी अस्पतालों और डायग्नोस्टिक लैब्स (जांच केंद्र) में देखने को मिली. इसका सीधा मतलब है कि निवेशक न केवल भारत की दवा बनाने की क्षमता पर भरोसा कर रहे हैं, बल्कि उन्हें यह भी विश्वास है कि आने वाले समय में देश में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की मांग और बढ़ने वाली है.

क्यों है यह सेक्टर इतना आकर्षक?इस ज़बरदस्त उछाल के पीछे कई बड़ी वजहें हैं:

बढ़ती घरेलू मांग: देश की बड़ी आबादी और स्वास्थ्य को लेकर बढ़ती जागरूकता के कारण दवाओं और इलाज की मांग लगातार बढ़ रही है.

सरकार का समर्थन: सरकार की नीतियां भी इस सेक्टर को आगे बढ़ाने में मदद कर रही हैं.

इनोवेशन पर ज़ोर: भारतीय कंपनियां अब सिर्फ दवा बनाने पर ही नहीं, बल्कि रिसर्च और डेवलपमेंट (R&D) पर भी खूब खर्च कर रही हैं, जिससे वे नई और बेहतर दवाएं बाज़ार में ला रही हैं.

यह रिपोर्ट साफ़ तौर पर दिखाती है कि भारतीय फार्मा और हेल्थकेयर सेक्टर सिर्फ देश की ज़रूरतें ही पूरी नहीं कर रहा, बल्कि दुनिया भर के निवेशकों के लिए भी एक सुरक्षित और फायदेमंद बाज़ार बन चुका है