
Up Kiran, Digital Desk: ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते तनाव का असर भारत के व्यापार पर पड़ सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इराक, जॉर्डन, लेबनान, सीरिया और यमन जैसे पश्चिम एशियाई देशों के साथ भारत के व्यापार पर असर पड़ेगा। इस युद्ध ने ईरान और इजरायल को भारत के निर्यात को प्रभावित किया है। अमेरिका द्वारा ईरान पर किए गए हमलों के कारण स्थिति और गंभीर हो गई है। इससे कच्चे तेल की कीमतों में तेजी आ सकती है और महंगाई बढ़ सकती है। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) ने कहा है कि इस तनाव से भारत के 8.6 अरब डॉलर के निर्यात और 33.1 अरब डॉलर के आयात पर असर पड़ सकता है। यानी 41.7 अरब डॉलर (करीब 3.6 लाख करोड़ रुपये) का व्यापार खतरे में है।
ईरान और इजरायल के बीच युद्ध के और बढ़ने की संभावना है। इसका असर पश्चिम एशिया के कई देशों के साथ भारत के व्यापार पर पड़ सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस युद्ध का असर भारत के निर्यात पर दिखने लगा है।
रविवार को अमेरिका ने ईरान के तीन ठिकानों पर हमला किया। इससे इजराइल के साथ युद्ध और बढ़ गया है। अमेरिका का लक्ष्य ईरान के परमाणु कार्यक्रम को खत्म करना है। वह अपने पुराने दुश्मन को कमजोर करना चाहता है। ईरान ने अमेरिका पर खतरनाक युद्ध शुरू करने का आरोप लगाया है। इससे पूरे क्षेत्र में संघर्ष बढ़ने की आशंका है।
होर्मुज भी प्रभावित
अब ईरान-इजरायल युद्ध से एक और महत्वपूर्ण व्यापार मार्ग होर्मुज भी प्रभावित हो रहा है। होर्मुज जलडमरूमध्य एक बहुत ही महत्वपूर्ण समुद्री मार्ग है, जिससे तेल के जहाज गुजरते हैं। इस मार्ग से कच्चे तेल के टैंकरों के परिवहन पर असर पड़ेगा। कच्चे तेल के टैंकरों को नए रास्ते मिलेंगे, लेकिन इससे कच्चे तेल की कीमत बढ़ जाएगी। इससे महंगाई पर असर पड़ेगा, क्योंकि कच्चे तेल की कीमतें दूसरे उत्पादों की कीमतों में अहम भूमिका निभाती हैं। इसका मतलब है कि तेल के जहाजों को दूसरे रास्ते अपनाने होंगे, जिससे कच्चा तेल महंगा हो जाएगा और महंगाई बढ़ेगी, विशेषज्ञ ने कहा।
दोनों देशों के साथ भारत का कितना व्यापार है?
पिछले वित्त वर्ष (2024-25) में भारत ने ईरान को 1.24 अरब डॉलर का निर्यात किया था। इसमें बासमती चावल (753.2 मिलियन डॉलर), केले (53.2 मिलियन डॉलर), सोया मील (70.6 मिलियन डॉलर), बंगाल चना (27.9 मिलियन डॉलर) और चाय (25.5 मिलियन डॉलर) शामिल हैं। वित्त वर्ष 2024-25 में भारत का इजरायल को निर्यात 2.1 बिलियन डॉलर और आयात 1.6 बिलियन डॉलर था।
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