
Up Kiran, Digital Desk: टेलीविजन और फिल्म उद्योग में 'नेपोटिज्म' यानी भाई-भतीजावाद पर बहस कोई नई बात नहीं है। अब इस मुद्दे पर अभिनेत्री शीन दास ने अपनी राय रखी है, और उनका बयान इस चर्चा को एक नया आयाम दे रहा है। शीन का मानना है कि जब टैलेंट की कमी होती है, तभी नेपोटिज्म उन योग्य कलाकारों के लिए अन्यायपूर्ण हो जाता है जो मौका पाने के हकदार हैं।
शीन दास ने कहा, "नेपोटिज्म हमेशा से रहा है और हमेशा रहेगा। मुझे लगता है कि यह मानव स्वभाव है कि हम उन लोगों का समर्थन करते हैं जिन्हें हम जानते हैं या जिनसे हमारा पारिवारिक संबंध है। यह हर उद्योग में होता है, न केवल मनोरंजन में।" उन्होंने स्वीकार किया कि हर कोई अपने बच्चों को या अपने करीबियों को सफल होते देखना चाहता है।
शीन ने इस बात पर जोर दिया कि समस्या तब शुरू होती है जब नेपोटिज्म टैलेंट की जगह ले लेता है। उन्होंने कहा, "नेपोटिज्म तभी अन्यायी हो जाता है जब 'नेपो किड्स' में टैलेंट की कमी हो, और उन्हें मौका इसलिए मिल जाए क्योंकि वे किसी बड़े नाम से जुड़े हैं, जबकि वास्तव में योग्य और प्रतिभाशाली कलाकार संघर्ष करते रह जाते हैं।"
शीन दास ने यह भी कहा कि अगर कोई 'नेपो किड' वाकई में प्रतिभाशाली है और अपनी मेहनत से सफल होता है, तो इसमें कोई दिक्कत नहीं है। दिक्कत तब होती है जब टैलेंट की कमी होने के बावजूद उन्हें लगातार मौके मिलते रहते हैं, जबकि बाहरी लोगों को, जिनके पास टैलेंट है, उन्हें पर्याप्त मौके नहीं मिलते।
शीन का यह बयान इस बात पर प्रकाश डालता है कि मनोरंजन उद्योग में संतुलन और निष्पक्षता की कितनी आवश्यकता है। उनका यह कहना कि नेपोटिज्म तभी अन्यायपूर्ण होता है जब प्रतिभा का अभाव हो, यह उन कई अभिनेताओं की भावना को दर्शाता है जो बाहरी होने के बावजूद अपनी कड़ी मेहनत और लगन से अपनी जगह बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
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