
भारत-पाकिस्तान के बीच हालिया चार-दिवसीय संघर्ष विराम (सीजफायर) पर वाशिंगटन डीसी में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने एक साफ़ बयान दिया। उन्होंने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के “हमने मध्यस्थता की थी” और “ट्रेड बाधित करवाई थी” जैसे दावों को खारिज किया।
जयशंकर ने बताया कि वह और भारत की सरकार “वहीं रूम में मौजूद” थे जब उस रात (9–10 मई की मध्यरात्रि) अमेरिकी उपराष्ट्रपति जे.डी. वैंस ने प्रधानमंत्री मोदी से फोन पर बातचीत की थी। जयशंकर ने स्पष्ट किया कि बातचीत का केंद्रीय विषय था पाकिस्तान द्वारा संभावित बड़े हमले की चेतावनी, जिसमें भारत ने जवाब देने की हामी भरी। उन वार्ताओं में ट्रेड या वाणिज्य का कोई जिक्र नहीं था ।
उन्होंने आगे बताया कि अगले दिन अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने उन्हें बताया कि पाकिस्तान सीजफायर के लिए तैयार है। जयशंकर ने जोर देकर कहा, “यह समझ बिल्कुल साफ़ है – ये दोनों देशों के डीजीएमओ (DGMO) के बीच हुई बातचीत का परिणाम था, न कि किसी व्यापारिक दबाव का” ।
जयशंकर ने इस पूरे घटनाक्रम की स्पष्ट जानकारी रखते हुए कहा कि यह भारत की रणनीति थी – दोनों पक्षों की पारस्परिक military‑to‑military वार्ताओं के ज़रिए ही संघर्ष विराम हुआ। उन्होंने ट्रंप दावों को संदर्भहीन करार दिया और भारत की नीति का बचाव करते हुए बताया कि भारत किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को अस्वीकार करता है ।
इस दौरान ट्रंप ने कई बार दावा दोहराया, “दोनों देश व्यापार चाहते थे, इसलिए उन्होंने लड़ाई रोकी” । लेकिन जयशंकर ने इसे पूर्णतः निराधार बताते हुए कहा कि दोनों मामलों—trade और ceasefire—का आपस में कोई संबंध नहीं था।
जयशंकर के स्पष्ट भाषण ने एक बात यूनिवर्सल कर दी: भारत-पाक सीजफायर में कोई बाहरी टेंशन, कोई व्यापार-लेन-देन की गारंटी या दबाव नहीं था। यह सिर्फ और सिर्फ भारत-पाक संकेतों पर आधारित सैन्य समझौता था।
--Advertisement--