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Up Kiran, Digital Desk: भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर पांच साल के अंतराल के बाद चीन का दौरा करने जा रहे हैं। यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब दोनों देशों के बीच सीमा पर तनाव बना हुआ है। उनके इस दौरे पर सीमा विवाद, द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य करने और शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) से जुड़े मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

भारत और चीन के बीच जून 2020 में गलवान घाटी में हुए संघर्ष के बाद से संबंध तनावपूर्ण बने हुए हैं। कई दौर की सैन्य और राजनयिक वार्ता के बावजूद, कुछ सीमावर्ती क्षेत्रों में अभी भी गतिरोध बना हुआ है। जयशंकर की यह यात्रा इन जटिल मुद्दों को सुलझाने और विश्वास बहाली के उपायों पर चर्चा करने का एक महत्वपूर्ण अवसर होगी।

यह यात्रा शंघाई सहयोग संगठन के विदेश मंत्रियों की बैठक के अवसर पर हो रही है। एससीओ एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय मंच है जहां भारत और चीन सहित अन्य सदस्य देश साझा सुरक्षा और आर्थिक चिंताओं पर चर्चा करते हैं। जयशंकर की उपस्थिति क्षेत्रीय स्थिरता और सहयोग के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाएगी।

सीमा विवाद के बावजूद, दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध मजबूत बने हुए हैं। हालांकि, भारत ने बार-बार कहा है कि सीमा पर शांति द्विपक्षीय संबंधों की समग्र प्रगति के लिए आवश्यक है। जयशंकर की यात्रा से उम्मीद है कि यह दोनों देशों के बीच संवाद को बढ़ावा देगी और भविष्य के संबंधों की दिशा निर्धारित करने में मदद करेगी।

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