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Up Kiran, Digital Desk: इंग्लैंड के महान तेज गेंदबाज जेम्स एंडरसन ने अपने शानदार टेस्ट करियर को अलविदा कह दिया है। उनके संन्यास के साथ, क्रिकेट के एक युग का अंत हो गया है, खासकर भारतीय बल्लेबाजी क्रम के लिए, जिसे उन्होंने अक्सर अपनी स्विंग और सीम गेंदबाजी से चुनौती दी। एंडरसन ने भारतीय बल्लेबाजों को हमेशा अपनी गेंदों पर 'पैरों के बल' रखा, जिसका अर्थ है कि उन्हें लगातार चौकन्ना रहना पड़ा और सहजता से रन नहीं बनाने दिए।

39 साल की उम्र में एंडरसन ने क्रिकेट के इतिहास में सबसे सफल तेज गेंदबाजों में से एक के रूप में विदाई ली। उन्होंने अपने करियर में 700 से अधिक टेस्ट विकेट लिए, जो तेज गेंदबाजों में एक विश्व रिकॉर्ड है। उनकी खासियत थी गेंद को दोनों तरफ स्विंग कराने की क्षमता, विशेष रूप से नई गेंद से और पिच से मिलने वाली थोड़ी सी भी मदद से।

भारतीय बल्लेबाजों के खिलाफ उनका प्रदर्शन हमेशा उत्कृष्ट रहा। उन्होंने कई मौकों पर भारतीय शीर्ष क्रम को ध्वस्त किया और उन्हें लगातार दबाव में रखा। एंडरसन की सटीक लाइन-लेंथ, और विकेट के दोनों ओर गेंद को मूव कराने की क्षमता ने उन्हें भारत के खिलाफ एक घातक गेंदबाज बना दिया था। उन्होंने सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, वीरेंद्र सहवाग और विराट कोहली जैसे दिग्गजों को कई बार परेशान किया।

एंडरसन का करियर उनकी फिटनेस और लंबे समय तक फॉर्म बनाए रखने की क्षमता का एक वसीयतनामा है। जिस उम्र में अधिकांश तेज गेंदबाज संन्यास ले लेते हैं, वह तब भी दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों को चुनौती दे रहे थे। उनका संन्यास इंग्लैंड क्रिकेट के लिए एक बड़ा नुकसान है, और भारतीय बल्लेबाज शायद राहत की सांस ले रहे होंगे कि अब उन्हें 'स्विंग के सुल्तान' का सामना नहीं करना पड़ेगा।

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