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Up Kiran, Digital Desk: भारत के विभाजन ने न केवल दो देशों का निर्माण किया बल्कि लोगों के दिलों में गहरे जख्म भी छोड़े। जहां पाकिस्तान हर साल 14 अगस्त को अपनी आज़ादी का जश्न मनाता है वहीं भारत में इस दिन को 'विभाजन पीड़ा स्मृति दिवस' के रूप में याद किया जाता है। इस ऐतिहासिक विभाजन के कई नायक और विरोधी रहे हैं जिनमें से एक प्रमुख नाम है पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना का।
पाकिस्तान के राष्ट्रपति हैं जिन्ना
पाकिस्तान में मोहम्मद अली जिन्ना को राष्ट्र के पिता के रूप में सम्मानित किया जाता है लेकिन उनकी ज़िन्दगी और स्वास्थ्य के पीछे छुपे कड़वे सच कम ही जाने जाते हैं। जिन्ना ने जिस मकसद से भारत के विभाजन को संभव बनाया वह पूरी तरह सफल नहीं हो पाया। उनकी मृत्यु के पीछे भी एक गुप्त बीमारी थी जो सार्वजनिक रूप से बहुत कम लोगों को पता थी।
मोहम्मद अली जिन्ना की बीमारी और उनकी अंतिम हालत
जिन्ना की मौत पाकिस्तान के गठन के एक साल बाद हुई थी। वह लंबे समय से टीबी (तपेदिक) जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित थे। उस दौर में टीबी एक जानलेवा बीमारी थी जिसके इलाज के लिए प्रभावी दवाएं उपलब्ध नहीं थीं। जिन्ना ने अपनी बीमारी को छुपाकर रखा था यहां तक कि उनकी अपनी बहन को भी इस बात का पता नहीं था। 11 सितंबर 1948 को जब उन्हें क़्वेटा से कराची ले जाया जा रहा था तब उनकी एम्बुलेंस का पेट्रोल खत्म हो गया और इस बीच उनकी हालत और बिगड़ गई। कराची पहुंचते-पूरी जिन्दगी की लड़ाई हारते हुए वे दुनिया से अलविदा कह गए।
उनके वजन के बारे में कोई आधिकारिक रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है लेकिन व्यापक जानकारियों के अनुसार उनके शरीर का वजन महज लगभग 36 किलोग्राम रह गया था। बीमारी और थकान के कारण उनकी हालत बहुत नाजुक थी। व्यस्तताओं में फंसे होने के कारण वे अपनी बीमारी का सही इलाज भी नहीं करवा सके।
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