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उत्तराखंड में ड्रोन से सर्वे के कार्य तो तेजी से किए जा रहे हैं मगर नियम-कानून इसकी राह में रोड़ा बन रहे हैं। आलम ये हैं कि जहां भी ड्रोन से सर्वेक्षण का काम शुरू होता है, वहीं इन रूल्स की वजह से वह पूरा नहीं हो पा रहा। अब सूचना प्रौद्योगिकी विकास एजेंसी (ITDA) इसके लिए नई योजना तैयार करने में लग गई है।

दरअसल, ड्रोन से सर्वे करने के लिए ITDA के एक्सपर्ट की टीम ड्रोन उड़ाती है। ड्रोन उड़ाने के लिए जो रूल्स बने हैं, उसके अंतर्गत कई ऐसे क्षेत्र हैं जो कि रेड जोन यानी नो फ्लाइंग जोन में आते हैं। इन स्थानों को राष्ट्रीय सुरक्षा के नजरिए से विवादित माना जाता है। जोशीमठ में जब कंटूर मैप बनाने का कार्य आईटीडीए ने आरम्भ किया तो वहां ड्रोन रेड जोन के कारण से नहीं उड़ पाया। परिणामस्वरूप जितने पास से ड्रोन से सर्वेक्षण की आवश्यकता थी, वह पूरी नहीं हो पाई और कंटूर मैप बनाने की रणनीति नाकाम हो गई।

इसके साथ साथ ड्रोन से देहरादून के सर्वेक्षण की योजना शुरू हुई मगर वह भी नियमों की वजह से ही नाकाम हो गई। दून में दो कैंट (गढ़ी व क्लेमेंटटाउन) आते हैं। इन इलाकों में सेना के कैंप हैं, जिस कारण से ये नो फ्लाइंग जोन हैं।

आपको बता दें कि राजधानी दून का ड्रोन से सर्वे करते समय इन इलाकों को शामिल नहीं किया जा सकता मगर ड्रोन को जब ऊपर से उड़ाते हैं तो तस्वीरों में कुछ क्षेत्र आ जाता है। ऐसे में सर्वेक्षण करना संभव नहीं है। इसके लिए रक्षा मंत्रालय से अनुमति की जरूरत होती है, जिसमें लंबा वक्त और प्रक्रिया लगती है। लिहाजा, ड्रोन से सर्वेक्षण का कार्य भी पूरा नहीं हो पाया।
 

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