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Up Kiran, Digital Desk: उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के किसान सुंदरलाल यादव जिनकी खेती से आज न केवल उनके परिवार की जिंदगी संवर रही है बल्कि उन्होंने अपनी मेहनत और समझदारी से खेती को लाभकारी व्यवसाय बना दिया है। उन्होंने पारंपरिक खेती के बजाय एक नई दिशा अपनाई और इससे उन्हें सफलता मिल रही है। उनके इस बदलाव से न केवल उनकी आमदनी में इजाफा हुआ बल्कि आसपास के किसानों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बने हैं।

सुंदरलाल यादव जो गोंडा जिले के ग्राम सभा केवलपुर के निवासी हैं पहले पारंपरिक तरीके से खेती करते थे। हालांकि उन्होंने देखा कि इसमें लागत ज्यादा और मुनाफा कम था। इसके बाद उन्होंने सोचा कि क्यों न कोई ऐसा तरीका अपनाया जाए जिससे कम खर्च में ज्यादा मुनाफा हो सके।

एक दिन उन्हें एक विचार आया और उन्होंने लोबिया की खेती की दिशा में कदम बढ़ाया। खास बात यह है कि उन्होंने इसे मचान विधि से उगाना शुरू किया जो कि एक विशेष तरीके से बोड़ा (लोबिया) की खेती करने का तरीका है। इस पद्धति से खेती करने के बाद उनकी फसल में न केवल गुणवत्तापूर्ण बदलाव आया बल्कि बारिश के मौसम में होने वाली समस्या जैसे जलभराव से भी निजात मिली। मचान विधि से फसल जमीन से ऊंची रहती है जिससे पानी का असर नहीं पड़ता और फसल खराब नहीं होती।

सुंदरलाल यादव बताते हैं कि उन्होंने करीब तीन से चार साल पहले मचान विधि से खेती शुरू की थी। शुरुआत में इसे जमीन पर उगाया जाता था लेकिन बाद में कृषि विशेषज्ञों से इस विधि के बारे में जानकारी प्राप्त करने के बाद उन्होंने मचान विधि को अपनाया।

उनकी मेहनत और नवाचार से अब वे एक बीघा ज़मीन पर लोबिया उगाकर सालाना लाखों रुपये कमा रहे हैं। इस बार उन्होंने एक बीघा में बोड़ा की खेती की है जिसमें लगभग चार से पांच हजार रुपये की लागत आई। तीन महीने में इस एक बीघे से 80 हजार से एक लाख रुपये तक की आय हो जाती है। यह साबित करता है कि कम समय और मेहनत में ज्यादा मुनाफा कैसे कमाया जा सकता है।

सुंदरलाल की शिक्षा भी एक प्रेरणा का उदाहरण है। उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन और बीटीसी की पढ़ाई की और बाद में गांव के प्राथमिक विद्यालय में शिक्षामित्र के पद पर नियुक्ति पाई। लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में काम करते हुए उनका कृषि के प्रति प्यार भी कम नहीं हुआ।

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