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Up Kiran, Digital Desk: सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में उस व्यक्ति को बड़ी राहत दी है, जिसने एक जाने-माने यूट्यूब इन्फ्लुएंसर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। इन्फ्लुएंसर ने इस व्यक्ति के खिलाफ प्रति-शिकायत (counter-complaint) दर्ज कराई थी, जिसमें उसे एक सार्वजनिक कर्मचारी को धमकाने और रिश्वत देने का आरोप लगाया गया था।
न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की अवकाश पीठ ने इस मामले की सुनवाई की। अदालत ने इन्फ्लुएंसर द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर को रद्द करने से इनकार कर दिया, लेकिन साथ ही शिकायतकर्ता को यह राहत दी कि उसके खिलाफ कोई भी दंडात्मक कार्रवाई (जैसे गिरफ्तारी) तब तक नहीं की जाएगी जब तक कि अंतिम आदेश न आ जाए। यह आदेश शिकायतकर्ता को कानूनी प्रक्रिया के दौरान गिरफ्तारी के डर से बचाने के लिए दिया गया है।
दरअसल, यह पूरा मामला तब शुरू हुआ जब यूट्यूब इन्फ्लुएंसर को कथित तौर पर एक सार्वजनिक कर्मचारी के खिलाफ रिश्वत लेने का आरोप लगाते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया था। इस मामले की शिकायत शिकायतकर्ता ने दर्ज कराई थी। इसके जवाब में, इन्फ्लुएंसर ने शिकायतकर्ता के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई, जिसमें आरोप लगाया गया कि उसने (शिकायतकर्ता ने) सार्वजनिक कर्मचारी को धमकी दी और रिश्वत देने की पेशकश की।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जटिलता और दोनों पक्षों के दावों को देखते हुए, याचिका को सूचीबद्ध करने का आदेश दिया। इसका मतलब है कि इस मामले पर आगे विस्तृत सुनवाई की जाएगी। अदालत ने कहा कि इस मामले में कई कानूनी मुद्दे शामिल हैं जिन पर विचार करने की आवश्यकता है।
फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट का यह अंतरिम आदेश शिकायतकर्ता के लिए एक बड़ी जीत है, क्योंकि यह उसे उत्पीड़न से बचाता है और यह सुनिश्चित करता है कि मामले की निष्पक्ष जांच हो सके। यह मामला दिखाता है कि कैसे सोशल मीडिया के दौर में भी कानूनी लड़ाईयां जटिल हो सकती हैं, और न्यायपालिका कैसे हर व्यक्ति के अधिकारों की रक्षा करती है।
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