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Up Kiran , Digital Desk: जिंदगी कभी-कभी पन्नों में बंद रहकर भी पूरी दुनिया से बोलती है। यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा की डायरी भी कुछ ऐसा ही कहती है - एक साधारण सी दिखने वाली डायरी लेकिन उसके भीतर समेटे हैं असाधारण अनुभव विचार और वो भावनाएँ जो सरहदें नहीं देखतीं।

हाल ही में ज्योति के घर से मिली इस डायरी के पन्ने जैसे अतीत से फुसफुसा रहे हों। पीले पन्नों पर दर्ज 2012 की तारीखें अंग्रेजी और हिंदी में लिखे नोट्स और सबसे अहम - तीन खास पन्ने जो पाकिस्तान की यात्रा को समर्पित हैं।

ज्योति ने हर सफर से पहले खुद को पूरी तरह तैयार किया यह बात उनके नोट्स से साफ झलकती है। टेक्निकल जानकारियों से लेकर ऐतिहासिक संदर्भ खर्चों का ब्योरा से लेकर दिल के जज्बात - सब कुछ दर्ज है। महाभारत और रामायण के संदर्भों से लेकर रजिया सुल्तान कुतुब मीनार और ब्राह्मण-क्षत्रिय जैसे सामाजिक बिंदुओं तक उनके लिखे में इतिहास और संवेदना दोनों की गहराई है।

लेकिन डायरी का सबसे भावुक हिस्सा वो है जहाँ ज्योति पाकिस्तान यात्रा के अनुभव को शब्द देती हैं।

"पाकिस्तान से 10 दिन का सफर तय करके आज वापस आई हूं अपने देश इंडिया/भारत। वहां की आवाम से बेइंतिहा मोहब्बत मिली। सबस्क्राइबर फ्रेंड्स हमसे मिलने आए... सरहदों की दूरियां पता नहीं कब तक रहेंगी लेकिन दिलों की गलतफहमियां मिट जानी चाहिए। हम सब एक ही धरती एक ही मिट्टी के हैं।"

ज्योति ने पाकिस्तान सरकार से एक विनम्र अपील भी डायरी में दर्ज की- कि हिंदुओं के लिए वहाँ और मंदिर और गुरुद्वारे खोले जाएं 1947 में बिछड़े परिवारों को फिर से मिलने का अवसर मिले। उन्होंने लिखा "वहाँ की बसें... क्रेज़ी और कलरफुल! जैसे वहां की ज़िंदगी हो-बेखौफ और रंगीन।"

ज्योति की जड़ें भी विभाजन की पीड़ा से जुड़ी हैं। उनका परिवार बंटवारे के वक्त पाकिस्तान से पंजाब के फरीदकोट आया फिर हिसार। संघर्ष की एक लंबी कहानी है जो पीढ़ियों से चली आ रही है। 

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