
Up Kiran, Digital Desk: कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी कथित तौर पर महत्वपूर्ण आंतरिक गतिशीलता से जूझ रही है, जो उसकी राज्य इकाई के भीतर कई शक्ति केंद्रों के उभरने से चिह्नित है। यह आंतरिक मंथन मुख्य रूप से मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार के बीच देखा जा रहा है, जो कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के अध्यक्ष भी हैं।
बहुमत की सरकार बनाने के बावजूद, सूत्रों का सुझाव है कि सत्ता-साझेदारी की व्यवस्था ने पार्टी के भीतर प्रभाव के लिए होड़ करने वाले अलग-अलग गुटों को जन्म दिया है। राजनीतिक पर्यवेक्षक और पार्टी के अंदरूनी सूत्र सितंबर के बाद राज्य इकाई के भीतर महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रमों और संभावित पुनर्गठन की अवधि की आशंका जता रहे हैं।
ये बदलाव कैबिनेट फेरबदल, विभागीय पोर्टफोलियो में समायोजन, या यहां तक कि पार्टी की संगठनात्मक संरचना में बदलाव से लेकर हो सकते हैं, क्योंकि विभिन्न खेमे अपनी स्थिति मजबूत करने और नीतिगत निर्णयों को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं। सत्ता का नाजुक संतुलन, जो सरकार की स्थिरता और प्रभावी शासन के लिए महत्वपूर्ण है, जांच के दायरे में है।
शीर्ष नेतृत्व की इन आंतरिक आकांक्षाओं और संभावित असंतोष को प्रबंधित करने की क्षमता भविष्य की चुनावी चुनौतियों से पहले पार्टी के सुसंगत कामकाज को सुनिश्चित करने की कुंजी होगी। आने वाले महीने कर्नाटक कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण होने की उम्मीद है क्योंकि यह इन आंतरिक राजनीतिक धाराओं को नेविगेट कर रही है और मतदाताओं के सामने एक एकजुट मोर्चा पेश करने का प्रयास कर रही है।
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