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Up Kiran, Digital Desk: आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में, जब हम अक्सर प्रकृति से दूर होते जा रहे हैं, कुछ त्योहार ऐसे भी होते हैं जो हमें अपनी जड़ों और मिट्टी से जोड़ते हैं। कर्नाटक के अड्यानाडका में मनाया जाने वाला 'कीचड़ महोत्सव' (Mud Festival) ऐसा ही एक अनोखा आयोजन है, जहाँ लोग धरती, खुशी और एक-दूसरे के साथ मिलकर जश्न मनाते हैं।

यह सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि एक जीवंत अनुभव है जहाँ लोग अपनी आधुनिक चिंताएं छोड़कर मिट्टी में सराबोर हो जाते हैं। अड्यानाडका स्पोर्ट्स एंड कल्चरल क्लब द्वारा आयोजित यह वार्षिक कार्यक्रम ग्रामीण जीवन, कृषि और सामुदायिक भावना का एक शानदार उत्सव है।

महोत्सव का मुख्य आकर्षण कीचड़ में खेले जाने वाले पारंपरिक खेल हैं। कबड्डी और रस्साकशी जैसे खेल, जो आमतौर पर सूखे मैदान पर खेले जाते हैं, यहाँ कीचड़ में खेले जाते हैं, जिससे उनका रोमांच और भी बढ़ जाता है। युवा और बुजुर्ग, पुरुष और महिलाएं – सभी इस कीचड़ भरे खेल में उत्साह से भाग लेते हैं। लोग एक-दूसरे पर कीचड़ उछालते हैं, कीचड़ से नहाते हैं और नाच-गाना करते हैं। यह एक ऐसा माहौल होता है जहाँ हर कोई अपने बचपन की यादों में खो जाता है, जब खुले मैदानों में मिट्टी से खेलना एक आम बात थी।

यह महोत्सव न केवल मनोरंजन का साधन है, बल्कि यह कई मायनों में महत्वपूर्ण भी है। यह लोगों को प्रकृति और पर्यावरण से फिर से जोड़ता है। यह ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देता है और स्थानीय संस्कृति को जीवित रखता है। सबसे बढ़कर, यह सामुदायिक भावना को मजबूत करता है, जहाँ हर कोई एक साथ हंसता है, खेलता है और उत्सव मनाता है, जिससे सामाजिक बंधन मजबूत होते हैं।

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