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Up Kiran, Digital Desk: दो मई 2025 की सुबह जैसे ही केदारनाथ धाम के कपाट खुले, पूरे क्षेत्र में एक आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार हुआ। मंदिर की घंटियों की गूंज, धूप और गंगाजल की सुगंध, भक्तों की जयकारें और हिमालय की गोद में स्थित इस तीर्थस्थल का सौंदर्य, सब मिलकर एक दिव्य वातावरण रच रहे थे। आरती के समय मंत्रोच्चार से मंदिर प्रांगण गूंज उठा। कड़ाके की ठंड के बावजूद हज़ारों की संख्या में भक्त मंदिर के कपाट खुलने के साक्षी बनने आए थे। कई श्रद्धालु तो रातभर मंदिर परिसर के पास रुके रहे ताकि वे सुबह की पहली झलक पा सकें।

पुष्कर सिंह धामी की विशेष मौजूदगी और श्रद्धालुओं से संवाद

इस ऐतिहासिक अवसर पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी स्वयं उपस्थित रहे। उन्होंने भगवान केदारनाथ के दर्शन किए और मंदिर की भव्य सजावट की सराहना की। धामी जी ने श्रद्धालुओं से मिलकर उनकी यात्रा और अनुभवों के बारे में जाना। उनका यह व्यक्तिगत संवाद भक्तों के लिए विशेष था, जिससे यह संदेश गया कि राज्य सरकार पूरी निष्ठा से तीर्थयात्रियों की सेवा के लिए तत्पर है। उनकी उपस्थिति ने कार्यक्रम को और भी गौरवशाली बना दिया।

मंदिर की दिव्य सजावट: फूलों से सजी भोलेनाथ की नगरी

केदारनाथ धाम को इस वर्ष जिस तरह सजाया गया, वह अपने आप में अद्वितीय है। 108 क्विंटल फूलों से सजे इस मंदिर को देखकर हर भक्त भावविभोर हो गया। इन फूलों में गुलाब, गेंदा, रजनीगंधा, ऑर्किड्स और कई अन्य विदेशी फूल शामिल थे। दिल्ली, कश्मीर, पुणे, कोलकाता, पटना के साथ-साथ नेपाल, श्रीलंका और थाईलैंड से भी फूल मंगवाए गए। खास बात यह थी कि गेंदे के फूल कोलकाता के एक विशेष गांव से मंगवाए गए क्योंकि वे जल्दी मुरझाते नहीं हैं और 10-15 दिन तक ताजगी बनाए रखते हैं।

सजावट में जुटे 150 स्वयंसेवकों की श्रद्धा और सेवा

इस दिव्य सजावट के पीछे 150 समर्पित स्वयंसेवकों की दिन-रात की मेहनत छिपी थी। इन सभी ने बिना किसी स्वार्थ के भगवान शिव की सेवा को अपना सौभाग्य माना। गुजरात के सृजल व्यास के नेतृत्व में इस टीम ने मंदिर की सजावट का दायित्व संभाला। स्वयंसेवकों ने बताया कि उन्होंने मंदिर को सजाते समय वैसा ही अनुभव किया जैसे कोई अपने घर को शादी के समय सजाता है। मंदिर को इस प्रकार सजाना उनके लिए केवल सेवा नहीं, एक आत्मिक जुड़ाव था। यह श्रद्धा और भक्ति का जीवंत उदाहरण है।

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