Chinese Spy: चार साल पहले एक खतरनाक अभियान में भारतीय खुफिया एजेंसियों ने एक चीनी नागरिक किंग शी को पकड़ा था, जो भारत के कुछ सबसे अहम सरकारी कार्यालयों में घुसपैठ करने और समझौता करने के मकसद से एक विस्तृत जासूसी साजिश में गहराई से शामिल थी। 2020 की गर्मियों में हुई गिरफ्तारी ने इस बात को उजागर किया कि विदेशी एजेंट भारत सरकार की अहम जानकारी निकालने के लिए किस हद तक जाने को तैयार थे।
इस बहाने से आई थी भारत
भारत में शोधकर्ता होने के बहाने रह रहे किंग शी को कई महीनों तक चले एक गहन निगरानी अभियान के बाद पकड़ा गया। जांच से पता चला कि किंग शी को प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) और अन्य अहम मंत्रालयों समेत प्रमुख भारतीय सरकारी संस्थाओं के बारे में आंतरिक जानकारी इकट्ठा करने का काम सौंपा गया था। ये जासूसी अभियान चीनी खुफिया एजेंसी द्वारा संचालित किया गया था, जिसने किंग शी को इन हाई-प्रोफाइल कार्यालयों के अंदर गतिविधियों और संचार के बारे में डिटेल्स हासिस करने पर ध्यान केंद्रित करने का निर्देश दिया था।
पूछताछ के दौरान पता चला कि किंग शी का मिशन सिर्फ़ पीएमओ तक सीमित नहीं था। उसे कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों के शीर्ष नौकरशाहों के बारे में भी खुफिया जानकारी जुटाने का निर्देश दिया गया था। ये नौकरशाह अक्सर अहम सरकारी सूचनाओं के द्वारपाल होते हैं, जिससे वे विदेशी जासूसी के लिए मुख्य लक्ष्य बन जाते हैं।
किंग शी की गिरफ़्तारी ने भारत और चीन के बीच कूटनीतिक चैनलों में हलचल मचा दी। जैसा कि अनुमान था, चीनी सरकार ने किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार किया और किंग शी की तत्काल रिहाई की मांग की। फिहलाल जांच जारी है।
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