Arshad Nadeem: अरशद नदीम ने पेरिस 2024 ओलंपिक में पाकिस्तान के लिए पहला व्यक्तिगत ओलंपिक स्वर्ण जीतकर इतिहास में अपना नाम दर्ज करा लिया। 92.97 मीटर की उनकी शानदार भाला फेंक ने न केवल एक नया ओलंपिक रिकॉर्ड बनाया, बल्कि पाकिस्तान को वैश्विक मंच पर लंबे समय से प्रतीक्षित गौरव का क्षण भी दिलाया। जब पूरा देश इस ऐतिहासिक उपलब्धि का जश्न मना रहा है, तो आइए पाकिस्तान के ओलंपिक सफर और उन एथलीटों पर करीब से नज़र डालें जिन्होंने वर्षों से देश का गर्व से प्रतिनिधित्व किया है।
अरशद नदीम ने पेरिस 2024 में इतिहास रच दिया
अरशद नदीम ने पेरिस 2024 ओलंपिक में रिकॉर्ड तोड़ 92.97 मीटर के साथ भाला फेंक में पाकिस्तान का पहला व्यक्तिगत ओलंपिक स्वर्ण पदक हासिल किया, जिससे पाकिस्तानी एथलेटिक्स में एक नए युग की शुरुआत हुई। अरशद नदीम का दो जनवरी 1997 में हुआ था। इनके पिता मजदूरी का कार्य करते थे।
हॉकी में पाकिस्तान की स्वर्णिम विरासत
नदीम की जीत से पहले, पाकिस्तान के तीनों ओलंपिक स्वर्ण पदक पुरुष हॉकी में जीते गए थे, जो 1960 और 1980 के दशक के दौरान इस खेल में देश के प्रभुत्व को दर्शाता है।
1960 में मुहम्मद बशीर का कुश्ती में कांस्य पदक
1960 के रोम ओलंपिक में कुश्ती में मुहम्मद बशीर का कांस्य पदक एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी, जिससे वे व्यक्तिगत ओलंपिक पदक जीतने वाले पहले पाकिस्तानी खिलाड़ी बन गये।
1956 मेलबर्न खेलों में हॉकी रजत
1956 के मेलबर्न ओलंपिक में पुरुष हॉकी में पाकिस्तान का रजत पदक उनका पहला ओलंपिक पदक था, जिसने इस खेल में उनकी भावी सफलताओं के लिए मंच तैयार कर दिया।
सियोल 1988 में मुक्केबाजी में कांस्य पदक
1988 के सियोल ओलंपिक में मुक्केबाजी में हुसैन शाह का कांस्य पदक पाकिस्तान का एकमात्र ओलंपिक मुक्केबाजी पदक है, जो इस खेल में उनकी उल्लेखनीय उपलब्धि को दर्शाता है।
1960 रोम में फील्ड हॉकी का प्रभुत्व
पाकिस्तान ने 1960 के रोम ओलंपिक खेलों में पुरुष हॉकी में अपना पहला स्वर्ण पदक जीता, भारत को हराकर इस खेल में उनके लंबे समय से चले आ रहे प्रभुत्व को तोड़ दिया।
फील्ड हॉकी में लगातार दो बार रजत (1964, 1972)
हॉकी में पाकिस्तान की निरंतरता 1964 के टोक्यो और 1972 के म्यूनिख ओलंपिक में रजत पदक जीतने से स्पष्ट थी, जो उनकी वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को रेखांकित करता है।
1976 मॉन्ट्रियल में फील्ड हॉकी में कांस्य
1976 के मॉन्ट्रियल ओलंपिक में पाकिस्तान ने पुरुष हॉकी में कांस्य पदक जीता और कड़ी प्रतिस्पर्धा के बावजूद ओलंपिक में अपनी मजबूत उपस्थिति बनाए रखी।
स एंजिल्स 1984: हॉकी का एक और स्वर्ण
1984 के लॉस एंजिल्स ओलंपिक में पुरुष हॉकी में पाकिस्तान का स्वर्ण पदक, इस खेल में उनका अंतिम पदक था, जिसने हॉकी की महाशक्ति के रूप में उनकी विरासत को सुनिश्चित किया।
बार्सिलोना 1992: आखिरी हॉकी पदक
1992 के बार्सिलोना ओलंपिक में पुरुष हॉकी में पाकिस्तान के कांस्य पदक जीतने से एक युग का अंत हो गया, क्योंकि तब से उन्होंने इस खेल में कोई पदक नहीं जीता है।
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