
Up Kiran, Digital Desk: टेक्नोलॉजी की दुनिया में अगली क्रांति का नाम है 'क्वांटम कंप्यूटिंग', और इस क्रांति का नेतृत्व भारत में कौन करेगा, इसकी तस्वीर अब साफ होने लगी है। कर्नाटक सरकार ने एक बड़ी पहल करते हुए केंद्र सरकार से राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (NQM) में मुख्य भूमिका निभाने की मांग की थी, जिसे केंद्र ने हरी झंडी दे दी है। यह फैसला भारत के टेक्नोलॉजी भविष्य के लिए एक गेम-चेंजर साबित हो सकता है।
कर्नाटक के आईटी/बीटी मंत्री, प्रियांक खरगे, ने दिल्ली में केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री से मुलाकात की और एक दमदार प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा कि जब भारत में टेक्नोलॉजी की बात होती है, तो कर्नाटक और खासकर बेंगलुरु सबसे आगे खड़ा होता है। हमारे पास बेहतरीन रिसर्च लैब हैं, दुनिया की सबसे अच्छी टैलेंटेड वर्कफोर्स है और क्वांटम टेक्नोलॉजी पर काम करने वाले नए-नए स्टार्टअप्स की पूरी फौज है। ऐसे में, इस राष्ट्रीय मिशन में कर्नाटक को सिर्फ एक भागीदार नहीं, बल्कि एक लीडर की भूमिका मिलनी चाहिए।
क्या चाहती है कर्नाटक सरकार?
मंत्री प्रियांक खरगे ने साफ किया कि राज्य, केंद्र के साथ कोई प्रतिस्पर्धा नहीं चाहता, बल्कि मिलकर काम करना चाहता है। उन्होंने प्रस्ताव दिया कि मिशन को जमीन पर तेजी से उतारने के लिए एक खास संस्था (Special Purpose Vehicle) बनाई जाए, जिसमें राज्य और केंद्र दोनों की भागीदारी हो। इससे फैसले तेजी से लिए जा सकेंगे और बेंगलुरु के मजबूत इकोसिस्टम का पूरा फायदा मिशन को मिलेगा।
केंद्र ने दी सहमति:खुशी की बात यह है कि केंद्र सरकार ने कर्नाटक के इस प्रस्ताव पर अपनी सहमति दे दी है। इसका मतलब है कि अब देश के 6,000 करोड़ रुपये के इस महत्वाकांक्षी मिशन को कर्नाटक से रफ्तार मिलेगी। यह सिर्फ एक राज्य की जीत नहीं है, बल्कि यह दिखाता है कि जब केंद्र और राज्य मिलकर काम करते हैं, तो देश कितनी तेजी से आगे बढ़ सकता है।
इस साझेदारी से न केवल क्वांटम टेक्नोलॉजी में रिसर्च और इनोवेशन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि भविष्य की टेक्नोलॉजी से जुड़ी हजारों नई नौकरियां भी पैदा होंगी। यह कदम बेंगलुरु को दुनिया के क्वांटम टेक्नोलॉजी मैप पर एक बहुत बड़े और महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में स्थापित करेगा।
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