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Up Kiran, Digital Desk: अगर हम 2047 तक भारत को एक 'विकसित भारत' के रूप में देखना चाहते हैं, तो हमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP)-2020 को हर हाल में प्रभावी ढंग से लागू करना ही होगा।" यह दृढ़ विचार अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) के सलाहकार और मुख्य समन्वय अधिकारी, डॉ. बुद्ध चंद्रशेखर ने व्यक्त किया। आंध्र विश्वविद्यालय के यूजीसी-एचआरडी केंद्र में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि देश का भविष्य इस क्रांतिकारी शिक्षा नीति के सफल कार्यान्वयन पर टिका है।

क्यों है NEP इतनी महत्वपूर्ण?

डॉ. चंद्रशेखर ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति केवल एक अकादमिक सुधार नहीं है, बल्कि यह देश के युवाओं को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करने का एक समग्र दृष्टिकोण है। उन्होंने इसके प्रमुख स्तंभों पर प्रकाश डाला:

स्किल डेवलपमेंट पर फोकस: NEP पारंपरिक रटंत विद्या को खत्म करके छात्रों में कौशल विकास (स्किल डेवलपमेंट) और व्यावहारिक ज्ञान को बढ़ावा देती है। इसका उद्देश्य ऐसे पेशेवर तैयार करना है जो उद्योगों की वर्तमान और भविष्य की जरूरतों को पूरा कर सकें।

अनुसंधान और नवाचार (Research and Innovation): यह नीति अनुसंधान और नवाचार के लिए एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र बनाने पर जोर देती है। डॉ. चंद्रशेखर ने शिक्षकों और छात्रों दोनों से नए विचारों के साथ आगे आने और पेटेंट दाखिल करने का आग्रह किया, जो देश की बौद्धिक संपदा को बढ़ाएगा।

शिक्षा और उद्योग का संगम: NEP का एक मुख्य लक्ष्य शिक्षा जगत और उद्योग के बीच की खाई को पाटना है। इससे छात्रों को वास्तविक दुनिया का अनुभव मिलेगा और उनकी रोजगार क्षमता बढ़ेगी।

बहु-विषयक शिक्षा (Multidisciplinary Education): यह नीति छात्रों को विभिन्न विषयों को एक साथ पढ़ने की स्वतंत्रता देती है, जिससे उनका समग्र विकास होता है और वे विभिन्न क्षेत्रों में काम करने के लिए सक्षम बनते हैं।

* शिक्षकों की भूमिका सबसे अहम**

डॉ. चंद्रशेखर ने इस बदलाव में शिक्षकों की भूमिका को सबसे महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को NEP के सिद्धांतों को आत्मसात करना होगा और अपनी शिक्षण पद्धतियों में आवश्यक बदलाव लाने होंगे। उन्होंने उपस्थित शिक्षकों से आग्रह किया कि वे स्किलिंग, री-स्किलिंग और अप-स्किलिंग पर ध्यान केंद्रित करें और छात्रों को केवल डिग्री धारक बनाने के बजाय उन्हें कुशल और सक्षम बनाएं।

आंध्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर पीवीजीडी प्रसाद रेड्डी ने भी इस कार्यक्रम में भाग लिया और इस बात पर सहमति व्यक्त की कि विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए NEP एक महत्वपूर्ण उपकरण है। यह स्पष्ट है कि सरकार और शिक्षा नियामक संस्थाएं NEP को भारत के भविष्य के लिए एक नींव के पत्थर के रूप में देख रही हैं, जिसका सफल कार्यान्वयन ही 2047 के 'विकसित भारत' के सपने को साकार करेगा।