
Up Kiran, Digital Desk: अगर आप त्योहारों के मौसम में नया घर, कार या कोई और बड़ा सामान खरीदने के लिए लोन लेने का सोच रहे हैं, तो आपके लिए अच्छी खबर है। एक बड़ी रिपोर्ट के मुताबिक, इस कारोबारी साल के आखिरी 6 महीनों (अक्टूबर 2025 से मार्च 2026) में बैंक लोन बांटने की रफ्तार तेज करने वाले हैं।
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल (Crisil) की एक ताजा रिपोर्ट का कहना है कि इस पूरे वित्तीय वर्ष में बैंकों द्वारा दिए जाने वाले कर्ज में 11-12% की बढ़ोतरी देखने को मिलेगी। हालांकि यह रफ्तार पिछले साल (13.3%) के मुकाबले थोड़ी धीमी है, लेकिन फिर भी इसे अर्थव्यवस्था के लिए एक अच्छा संकेत माना जा रहा है।
धीमी शुरुआत के बाद अब क्यों आएगी तेजी?
रिपोर्ट के मुताबिक, साल के पहले 6 महीने थोड़े सुस्त रहे हैं क्योंकि ब्याज दरें ज़्यादा होने की वजह से लोग और कंपनियां लोन लेने में थोड़ा हिचकिचा रही थीं। लेकिन तस्वीर अब बदलने वाली है। अक्टूबर से तेजी आने के पीछे कुछ बड़ी वजहें हैं:
त्योहारों का मौसम: दिवाली और दूसरे बड़े त्योहारों पर लोग जमकर खरीदारी करते हैं, जिससे होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन की मांग बढ़ जाती है।
सरकार का खर्च: साल के आखिरी महीनों में सरकारी प्रोजेक्ट्स पर खर्च भी बढ़ता है, जिससे कंपनियों को भी काम के लिए ज्यादा पैसे की जरूरत पड़ती है।
बिजी सीजन: यह समय कई इंडस्ट्रीज के लिए "बिजी सीजन" होता है, जिससे बिजनेस लोन की डिमांड भी बढ़ जाती है।
कौन ले रहा है सबसे ज़्यादा लोन?
इस रिपोर्ट की सबसे खास बात यह है कि इस बार भी लोन की इस तेजी के सबसे बड़े हीरो आम आदमी यानी रिटेल कस्टमर्स होंगे।
रिटेल लोन: आम लोगों को दिए जाने वाले लोन (जैसे होम, कार, पर्सनल लोन) में सबसे ज्यादा 18% की जबरदस्त बढ़ोतरी का अनुमान है।
छोटे कारोबार (MSME): छोटे कारोबारियों को मिलने वाले कर्ज में भी अच्छी रफ्तार (लगभग 14.5%) बनी रहेगी।
बड़ी कंपनियां: बड़ी कंपनियां लोन लेने में थोड़ा पीछे रहेंगी (सिर्फ 9% की रफ्तार) क्योंकि वे बैंकों पर निर्भर रहने के बजाय अपने मुनाफे और बॉन्ड मार्केट से पैसा जुटा रही हैं।
बैंकों के सामने एक चुनौती भी: रिपोर्ट में एक चुनौती का भी जिक्र है। जिस तेजी से बैंक लोन बांट रहे हैं, उस तेजी से लोग बैंकों में पैसा जमा नहीं कर रहे हैं। लोग अपना पैसा बचत खातों में रखने की बजाय म्यूचुअल फंड्स जैसी दूसरी जगहों पर लगा रहे हैं, जिससे बैंकों के लिए ज्यादा कर्ज देना थोड़ा मुश्किल हो सकता है।