
Up Kiran, Digital Desk: आज का दिन हर भारतीय के लिए गर्व का दिन है। भारत की समुद्री ताकत में एक बहुत बड़ा इजाफा हुआ है। भारतीय नौसेना के बेड़े में दो नए और बेहद शक्तिशाली जंगी जहाज - 'उदयगिरि' और 'हिमगिरि' - शामिल हो गए हैं।
ये कोई आम जंगी जहाज नहीं हैं, बल्कि ये 'स्टील्थ फ्रिगेट' (Stealth Frigates) हैं। यानी, ये ऐसे जहाज हैं जिन्हें दुश्मन का राडार भी आसानी से नहीं पकड़ सकता। ये समंदर में लगभग 'अदृश्य' होकर अपने मिशन को अंजाम दे सकते हैं।
क्या है इन जहाजों की खासियत
'उदयगिरि' और 'हिमगिरि' को भारत के महत्वाकांक्षी 'प्रोजेक्ट 17ए' (Project 17A) के तहत बनाया गया है। इस प्रोजेक्ट का मकसद भारतीय नौसेना को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करना है।
स्टील्थ टेक्नोलॉजी: इनकी सबसे बड़ी ताकत इनकी 'स्टील्थ' खूबी है। इनका डिजाइन और इन पर इस्तेमाल किया गया खास पेंट ऐसा है कि ये दुश्मन के राडार की तरंगों को सोख लेते हैं या उनकी दिशा बदल देते हैं, जिससे ये राडार की पकड़ में नहीं आते।
अत्याधुनिक हथियार: ये जहाज हवा, सतह और पानी के नीचे, तीनों जगह दुश्मन को तबाह करने की क्षमता रखते हैं। ये ब्रह्मोस जैसी सुपरसोनिक मिसाइलों और बराक-8 जैसी एयर डिफेंस मिसाइलों से लैस हैं।
आत्मनिर्भर भारत की मिसाल: सबसे गर्व की बात यह है कि इन जहाजों को पूरी तरह से भारत में ही डिजाइन और तैयार किया गया है। इन्हें मुंबई के मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स (MDL) और कोलकाता के गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) ने बनाया है। यह 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान की एक शानदार मिसाल है।
नामों के पीछे का इतिहास
इन जहाजों के नाम भी बहुत खास हैं।
'उदयगिरि' का नाम आंध्र प्रदेश की एक पर्वत श्रृंखला के नाम पर रखा गया है, जो हमेशा से भारत की ताकत का प्रतीक रही है।
'हिमगिरि' का नाम भी नौसेना के एक पुराने और बहुत ही प्रतिष्ठित जहाज के नाम पर रखा गया है, जिसने सालों तक देश की सेवा की थी।
नौसेना के लिए क्यों हैं इतने महत्वपूर्ण
हिंद महासागर में चीन और पाकिस्तान की बढ़ती गतिविधियों को देखते हुए, ये जहाज भारतीय नौसेना के लिए 'गेम चेंजर' साबित होंगे। इनकी तैनाती से समुद्र में भारत की निगरानी और हमला करने की क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी।
'उदयगिरि' और 'हिमगिरि' का नौसेना में शामिल होना सिर्फ दो जहाजों का आना नहीं है, बल्कि यह दुनिया को यह संदेश है कि भारत अब अपनी समुद्री सीमाओं की रक्षा के लिए किसी पर निर्भर नहीं है और वह अपनी सुरक्षा के लिए सबसे आधुनिक तकनीक खुद बना सकता है।