
Up Kiran, Digital Desk: देश के उपराष्ट्रपति की सुरक्षा अब और भी ज़्यादा मज़बूत कर दी गई है. गृह मंत्रालय ने एक अहम फैसला लेते हुए उपराष्ट्रपति की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी अब केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF) के कमांडो को सौंप दी है. उन्हें 'Z+' कैटेगरी का सुरक्षा घेरा प्रदान किया जाएगा, जो देश में सबसे ऊंचे स्तर की सुरक्षा व्यवस्था में से एक है.
क्यों लिया गया यह फैसला?
यह कदम इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) से मिले इनपुट्स के आधार पर उठाया गया है. आईबी ने हाल ही में खतरे का एक नया आकलन किया था, जिसके बाद गृह मंत्रालय ने यह फैसला लिया. अब तक यह ज़िम्मेदारी दिल्ली पुलिस के पास थी. नए आदेश के तहत, उपराष्ट्रपति के सबसे करीबी सुरक्षा घेरे में CRPF की एलीट वीआईपी सिक्योरिटी विंग के हथियारबंद कमांडो तैनात रहेंगे.
हालांकि, सुरक्षा का बाहरी घेरा पहले की तरह ही दिल्ली पुलिस संभालेगी. इसमें एक्सेस कंट्रोल और पेरीमीटर की जांच जैसी जिम्मेदारियां शामिल होंगी. बताया जा रहा है कि इस संबंध में मौखिक आदेश जारी हो चुका है और जल्द ही लिखित तौर पर भी निर्देश दे दिए जाएंगे.
क्या होती है Z+ सिक्योरिटी?
'Z+' भारत में सबसे बड़ी सुरक्षा कैटेगरी है. इसके तहत 55 से ज़्यादा सशस्त्र सुरक्षाकर्मी तैनात किए जाते हैं, जिनमें टॉप कमांडो और दूसरे सपोर्ट स्टाफ शामिल होते हैं. इन कमांडो को किसी भी आतंकी हमले का जवाब देने, क्लोज कॉम्बैट (करीबी लड़ाई) और खतरनाक हालात में वीआईपी को सुरक्षित निकालने की ख़ास ट्रेनिंग दी जाती है.
यह बदलाव 'ब्लू बुक' के नए नियमों के तहत किया जा रहा है. ब्लू बुक एक तरह का सुरक्षा मैन्युअल है, जिसमें देश के शीर्ष संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों की सुरक्षा के दिशा-निर्देश दिए गए हैं. CRPF पहले से ही कई हाई-रिस्क वाले गणमान्य लोगों को सुरक्षा दे रही है, और अब इस लिस्ट में उपराष्ट्रपति का नाम भी जुड़ गया है. आपको बता दें कि सीपी राधाकृष्णन भारत के 15वें उपराष्ट्रपति चुने गए हैं.
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