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Up Kiran, Digital Desk: देश के टॉप इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिले के लिए 75 फीसदी अंक की अनिवार्यता होती है। शिवम को 12वीं में मिले थे 74 फीसदी। बस एक नंबर ने सपना रोकने की कोशिश की, लेकिन शिवम ने इस नाकामी को अंत नहीं, बल्कि एक नए सफर की शुरुआत बना दिया।

उन्होंने एक साल का गैप लिया, फिर दोबारा 12वीं की परीक्षा दी और इस बार 86 फीसदी अंक हासिल किए। यही नहीं, उन्होंने जेईई मेन और एडवांस दोनों में सफलता पाई और नाम लिखवा लिया देश के प्रतिष्ठित संस्थान BIT मेसरा में।

शिवम राज: कहां से आए, कहां पहुंचे
शिवम मूल रूप से झारखंड के गुमला जिले के कामडारा ब्लॉक के सालेगुटू गांव के रहने वाले हैं। वर्तमान में उनका परिवार रांची के अरगोड़ा इलाके में रहता है। उनके पिता प्रो. राजकुमार ओहदार NIMT रांची में पढ़ाते हैं और मां डॉ. अर्चना कुमारी मारवाड़ी कॉलेज में सहायक प्राध्यापक हैं।

शुरुआत JVMS श्यामली से, फिर BIT मेसरा
शिवम की स्कूली शिक्षा जेवीएम श्यामली से हुई। यहीं से उन्होंने अपने तकनीकी सफर की नींव रखी। 2021 में उन्होंने BIT मेसरा से कंप्यूटर साइंस में बीटेक किया। पढ़ाई के दौरान ही वे कैंपस प्लेसमेंट में छा गए। उन्हें एक नामी कंपनी से 52 लाख रुपये सालाना का ऑफर मिला, जो उनकी मेहनत का पहला बड़ा इनाम था।

Google तक पहुंचने का सफर
शिवम ने इस सफलता के बाद भी रुकने का नाम नहीं लिया। तकनीक के प्रति उनका जुनून उन्हें लगातार आगे बढ़ाता रहा। एक के बाद एक स्किल्स सीखे, खुद को अपडेट रखा और आखिरकार Google में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के पद पर नियुक्ति मिली। सालाना पैकेज: 2 करोड़ रुपये।

“रोज़ थोड़ा पढ़ो, लेकिन लगातार पढ़ो”
शिवम मानते हैं कि कामयाबी किसी शॉर्टकट से नहीं मिलती। उन्होंने कहा, “ज्यादा पढ़ाई करने से बेहतर है कि रोज़ थोड़ा-थोड़ा पढ़ा जाए, लेकिन लगातार।” उनके मुताबिक, असफलता दरअसल सफलता की तैयारी होती है। जरूरी है, उसे पहचानो और उससे सीखो।