
nitish kumar Iftar party: बिहार की सियासत में एक नया भूचाल आया है। चुनावी साल में सीएम नीतीश कुमार को उनके कभी चहेते रहे मुस्लिम समुदाय से करारा झटका लगा है। पटना में नीतीश द्वारा आयोजित इफ्तार पार्टी का प्रमुख मुस्लिम धार्मिक संगठनों ने बहिष्कार कर दिया है। ये फैसला न सिर्फ नीतीश की छवि पर सवाल उठाता है बल्कि विधानसभा इलेक्शन से पहले उनकी पार्टी जदयू की राह को और पेचीदा बना सकता है।
शनिवार को इमारत-ए-शरिया के जनरल सेक्रेटरी मुफ्ती सईदुर्रहमान ने साफ लफ्जों में ऐलान किया कि आज पटना में नीतीश कुमार की ओर से दी जा रही इफ्तार पार्टी में मुस्लिम संगठन हिस्सा नहीं लेंगे।
इस बहिष्कार में इमारत शरिया, जमात इस्लामी, जमात अहले हदीस, खानकाह मोजिबिया, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, जमीयत उलेमा-ए-हिंद और खानकाह रहमानी जैसे बड़े संगठन शामिल हैं। यह सियासी तौर पर नीतीश के लिए खतरे की घंटी है, क्योंकि ये संगठन बिहार, झारखंड और ओडिशा में मुस्लिम समुदाय के बीच गहरी पैठ रखते हैं।
मुस्लिम क्यों कर रहे हैं बहिष्कार
मुफ्ती सईदुर्रहमान ने वजह बताते हुए कहा कि केंद्र सरकार के वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को जदयू का समर्थन बर्दाश्त से बाहर है। इस बिल से वक्फ संपत्तियों को खतरा है। ये मुस्लिम समुदाय की आर्थिक और शैक्षिक तरक्की के लिए अहम हैं। हम नीतीश की इफ्तार का बहिष्कार कर अपना विरोध दर्ज कर रहे हैं। क्योंकि वो इस मुद्दे पर कुछ बोल नहीं रहे हैं।
राज्य में मुस्लिम वोट हमेशा से निर्णायक रहे हैं। नीतीश की इफ्तार पार्टी का बहिष्कार न सिर्फ उनकी छवि को धक्का पहुंचा सकता है, बल्कि विपक्षी दलों, खासकर राजद के लिए एक मौका भी लेकर आया है।
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