Rahul Gandhi Controversy: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बीते कल को अमेरिका में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। विपक्ष के नेता ने "सिख पगड़ी" पर टिप्पणी करके फिर से ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा, "भारत में संघर्ष राजनीति के बारे में नहीं है...असली संघर्ष इस बात को लेकर है कि क्या सिखों को भारत में पगड़ी पहनने की अनुमति है, कृपाण पहनने की अनुमति है या गुरुद्वारे में जाने की अनुमति है। यह लड़ाई सिर्फ उनके लिए नहीं बल्कि सभी धर्मों के लिए है..."
गांधी ने भाजपा सरकार पर देश की एकता को कमजोर करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा, "भारत राज्यों का संघ है, यह संविधान में लिखा है। इसका क्या मतलब है? इसका मतलब है कि यह भाषाओं का संघ है, परंपराओं, संगीत और नृत्य का संघ है। वे कहते हैं कि यह संघ नहीं है, मगर ये सभी तत्व अलग-अलग हैं... और एक चीज जो इन सभी को जोड़ती है, वह है इसका मुख्यालय नागपुर में है।"
केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने गांधी की टिप्पणियों को "भारत के बारे में अपमानजनक बयान" करार दिया। कांग्रेस नेता की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए पुरी ने कहा, "मगर अब उन्होंने सिखों के कड़ा और पगड़ी पहनने पर रोक के बारे में जो कहा है, वह पूरी तरह से भ्रमपूर्ण और बेतुका है। सच्चाई यह है कि सिख आज भारत में जितने सुरक्षित हैं, दुनिया में कहीं भी नहीं रहे हैं।"
कांग्रेस सरकार के दौरान हुए 1984 के सिख विरोधी दंगों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, "यदि उनके मन में कड़ा, कृपाण या पगड़ी के कारण सिख के रूप में पहचाने जाने को लेकर कोई डर या चिंता थी, तो वह केवल 1984 में सिख संगत के सदस्यों के खिलाफ की गई एकतरफा हिंसा और नरसंहार के दौरान थी।"
ये पहली बार नहीं है जब कांग्रेस नेता के बयान से राजनीतिक तनाव बढ़ा है।
कथित तौर पर मई 2023 में, अपनी अमेरिकी यात्रा के दौरान, कैलिफोर्निया में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए गांधी ने कहा कि आरएसएस और भाजपा भारत में सभी राजनीतिक साधनों को 'नियंत्रित' कर रहे हैं। सैन फ्रांसिस्को में उन्होंने दावा किया कि "गरीब और अल्पसंख्यक समुदाय आज असहाय महसूस कर रहे हैं।"
अगस्त 2018 में जर्मनी और ब्रिटेन की अपनी यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने कहा कि नोटबंदी और जीएसटी के अनुचित क्रियान्वयन से बेरोजगारी बढ़ी है। उन्होंने यह भी कहा कि दलितों, अल्पसंख्यकों और पिछड़े समुदायों को अब सरकारी लाभ नहीं मिल रहे हैं और गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों के लिए निर्धारित धन अब कुछ बड़ी कंपनियों को दिया जा रहा है।
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